Bharat Jodo Yatra : राहुल गांधी ने कहा ‘आदिवासी हिंदुस्तान के असली मालिक, वनवासी कहने पर माफी मांगे बीजेपी’

Bharat Jodo Yatra : मध्यप्रदेश में भारत जोड़ो यात्रा के दूसरे दिन राहुल गांधी आज दोपहर आदिवासी जननायक टंट्या मामा की जन्मस्थली बड़ौदा अहीर पहुंचे। सुबह साढ़े छह बजे उन्होने बुरहानपुर से पदयात्रा शुरू की। बड़ौदा अहीर में राहुल गांधी ने एक सभा को संबोधित करते हुए कहा कि आदिवासी ही हिंदुस्तान के असली और पहले मालिक हैं। वो वनवासी कहते हैं, क्योंकि वो आपके सारे अधिकार आपसे छीनना चाहते हैं और आपको ये याद नहीं दिलाना चाहते कि आप ही इस देश के पहले और असली मालिक हो। सबसे पहले मैं चाहता हूं कि बीजेपी के लोगों ने आपका अपमान किया है और जो वनवासी शब्द आपके लिए प्रयोग किया है, इसके लिए ये आपसे माफी मांगे। हाथ जोड़कर हिंदुस्तान के आदिवासियों से ये माफी मांगे और कहें कि आप वनवासी नहीं हो, आप आदिवासी हो और आपको जो भी अधिकार चाहिए वो हम देंगे।

राहुल गांधी का संबोधन

राहुल गांधी ने जनसभा को संबोधित करते हुए कहा- “जय जोहार, जय आदिवासी! स्टेज पर कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता, हमारे प्यारे कार्यकर्ता, आदिवासी भाईयों और बहनों, आप सबका यहाँ बहुत-बहुत स्वागत, नमस्कार। कैसे हैं आप? जैसे कमलनाथ जी ने कहा मैं तांत्या मामा, मेरे लिए तांत्या मामा एक चिन्ह है। एक सोच है। एक व्यक्ति जरुर थे, मगर वो एक चिन्ह और एक सोच और एक विचारधारा भी थे और उनकी विचारधारा के कारण, उनकी सोच के कारण, मैं आज यहाँ आया हूँ। आज मैं उनके बारे में पढ़ रहा था और मैंने देखा कि वो 26 जनवरी को पैदा हुए थे और वही दिन है, जब हमारे देश का संविधान लागू हुआ। गणतंत्र दिवस का दिन, तांत्या मामा का जन्मदिन था। तो इसमें भी एक मैसेज है।”

“कुछ दिन पहले मैंने महाराष्ट्र में एक भाषण किया और उसमें मैंने आदिवासी शब्द के बारे में बोला। सही बोला? आदिवासी का मतलब, जो हिंदुस्तान में सबसे पहले रहते थे। मतलब, जब इस देश में कोई और नहीं था, तब भी आप लोग इस देश में रहते थे। अगर आप आदिवासी हो और अगर आप यहाँ सबसे पहले रहते थे, तो इसका मतलब ये बनता है कि आप इस देश के असली मालिक हो। सही बात?”

“ये जो शब्द होते हैं, ये बहुत चीजें छुपाते हैं। बहुत चीजें ये दिखा भी सकते हैं। जैसे आप तांत्या मामा के बारे में सोचें, तो आपके दिमाग में कौन से शब्द आते हैं, बताइए। कौन सा शब्द आता है, जब आप तांत्या मामा के बारे में सोचते हो? आदिवासी आता है, संघर्ष आता है, निडरता आता है, क्रांतिकारी आता है, ये शब्द आते हैं। जब वो अंग्रेजों के सामने फांसी पर चढ़ रहे थे, तो आपको क्या लगता है, उनके दिल में डर था या नहीं? (जनता ने कहा- नहीं)। सवाल नहीं उठता। उनके दिल में डर नहीं था। क्यों नहीं था? उसका कारण क्या था? आम आदमी चढ़ता है, फांसी के सामने खड़ा हो जाता है, डर जाता है, है न? मगर जो आपके तांत्या मामा थे, जब वो चढ़े फांसी पर, उनके दिल में डर क्यों नहीं था, क्योंकि उनके डर को, जो उनके दिल में आपके लिए प्यार था, उसने मिटा दिया था। तो जब हम उनके बारे में सोचते हैं, हमारे दिमाग में ये शब्द आते हैं। निडर, संघर्ष, मोहब्बत, ये शब्द आते हैं।”

“कुछ दिन पहले मैंने प्रधानमंत्री का एक भाषण सुना और उसमें उन्होंने एक नया शब्द प्रयोग किया, ‘वनवासी’। अब ये शब्द, इसके पीछे एक दूसरी सोच है। आदिवासी के पीछे सोच है कि इस देश के पहले मालिक आप हो। इसका मतलब अगर आप पहले मालिक हो, तो आपकी जमीन पर, जंगल पर, जल पर आपका हक होना चाहिए। मगर वहाँ रुकना नहीं है। आप असली मालिक हो, तो आपको और आपके बच्चों को अधिकार मिलने चाहिए। अगर आपका बच्चा इंजीनियर बनने का सपना देखे, सरकार को आपकी पूरी मदद करनी चाहिए। अगर आप में से कोई डॉक्टर बनना चाहे, आपकी बेटी डॉक्टर बनना चाहे, उसकी पूरी मदद होनी चाहिए, क्यों, क्योंकि आप असली मालिक हो। आप पहले मालिक हो, तो सबसे पहला आपका काम होना चाहिए।”

“मतलब, जंगल तो आपका है, मगर जंगल के बाहर भी आपको अधिकार मिलना चाहिए और जब बीजेपी की सरकारें स्कूल और कॉलेज को प्राईवेटाइज कर देती हैं, उद्योगपतियों के हवाले कर देती हैं या अस्पतालों को उद्योगपतियों के हवाले कर देती हैं, तो आपके बच्चे शिक्षा नहीं पा पाते और आपके परिवारों को जब अस्पताल की जरुरत होती है, आप वहाँ नहीं जा पाते। जब बीजेपी पब्लिक सेक्टर को बंद करती है। रेलवेज को, बीएचईएल को प्राईवेटाइज करने का काम, बेचने का काम करती है, तो वो सीधा आदिवासियों को चोट मारती है।”

“मैं आपसे पूछता हूँ, नोटबंदी से आपको फायदा हुआ या नुकसान? जीएसटी, नोटबंदी और कोरोना के समय जो सरकार ने किया, दलितों को, पिछड़ों को, आदिवासियों को, किसानों को, मजदूरों को उन्होंने चोट मारी। मैं भाषणों में कहता हूँ, ये पॉलिसियाँ नहीं थी, ये हथियार हैं। अब नरेन्द्र मोदी जी एक नया शब्द लाए, वनवासी। इसका मतलब अलग है। सबसे पहले इसका मतलब ये है कि आप पहले मालिक नहीं हो, आप सिर्फ जंगल में रहते हो। पहला मतलब ये। दूसरा मतलब कि जंगल के बाहर आपको, वन के बाहर कोई भी आपको अधिकार नहीं मिलना चाहिए और तीसरा मतलब, जो आपको दिख रहा है, जहाँ भी हम देखें, बीजेपी की सरकारें जंगल को उद्योगपतियों को दे रही है। जंगल काटे जा रहे हैं। आहिस्ते, आहिस्ते, आहिस्ते, आहिस्ते हिंदुस्तान में जंगल खत्म होते जा रहे हैं, सही बोला या गलत बोला? सही? तो तीसरा मतलब ये है कि जब इस देश से जंगल खत्म हो जाएंगे, तो फिर आपके लिए इस देश में कोई जगह नहीं बचेगी। ये तीसरा मतलब है।”

“ये मैंने आपको शब्द क्यों बताए- क्योंकि इन शब्दों के पीछे विचारधारा है। हम आदिवासी कहते हैं, क्योंकि हम इस बात को मानते हैं कि आप हिंदुस्तान के असली और पहले मालिक हो। वो वनवासी कहते हैं, क्योंकि वो आपके सारे के सारे अधिकार आपसे छीनना चाहते हैं और आपको ये याद नहीं दिलाना चाहते कि आप ही इस देश के पहले और असली मालिक हो। तो सबसे पहले मैं चाहता हूं कि ये जो बीजेपी के लोगों ने आपका अपमान किया है। ये जो शब्द इन्होंने आपके लिए प्रयोग किया है, वनवासी, इसके लिए ये आपसे माफी मांगे। हाथ जोड़कर हिंदुस्तान के आदिवासियों से ये माफी मांगे और उनसे कहें कि आप वनवासी नहीं हो, आप आदिवासी हो और आप हिंदुस्तान के पहले मालिक हो और हम आपको जो भी अधिकार चाहिए, वो देंगे।”

“दूसरा काम, माफी मांगने के बाद, पहले नहीं। माफी मांगने के बाद दूसरा काम, जो ये आपसे जंगल छीनते हैं, जो हम पेसा कानून लाए, जमीन अधिग्रहण बिल लाए, फॉरेस्ट राइट एक्ट लाए, इन तीन कानूनों को ये जो कमजोर करते हैं और आपकी जो जमीन है, जो आपसे छीनते हैं, आपका जल है, आपका जंगल है, जो आपसे छीनते हैं, वो आपको वापस देने का काम शुरु कर दें। अगर ये नहीं करेंगे, तो जैसे ही हमारी यहाँ सरकार आएगी, हम आदिवासी शब्द का प्रयोग करेंगे और जो आपके हक हैं, एक के बाद एक, एक के बाद एक आपको देना शुरु कर देंगे और जो आपकी जमीन है, उसका अधिकार जल औऱ जंगल का अधिकार आपको वापस देना शुरु कर देंगे।”

“आप जानते हो कि आदिवासियों के खिलाफ सबसे ज्यादा अत्याचार मध्य प्रदेश में होता है। पूरा मध्य प्रदेश का आदिवासी जानता है कि अगर किसी प्रदेश में आदिवासियों के खिलाफ अत्याचार होता है, तो उस प्रदेश का नाम मध्य प्रदेश है। ऐसी व्यवस्था हमें नहीं चाहिए। हमें आदिवासियों को इज्जत देने वाला प्रदेश चाहिए, आदिवासियों की रक्षा करने वाला प्रदेश चाहिए और ये जो वनवासी शब्द है, इसका प्रदेश हमें नहीं चाहिए।”

“आप सब आए, प्यार से आपने मेरी बात सुनी और आपने मेरी बात बहुत अच्छी तरह समझ ली है, मैं आपके चेहरे देख रहा हूँ। आपको बात समझ आ गई है, सब समझ गए हैं। ये जो बीजेपी की विचारधारा है, याद रखिए, अभी हम तांत्या मामा की बात कर रहे हैं, तांत्या मामा को फांसी पर किसने चढ़ाया? अंग्रेजों ने, सही? आरएसएस ने अंग्रेजों की मदद की, ये पूरी दुनिया और हिंदुस्तान जानता है। तो याद रखिए, अंग्रेजों ने तांत्या मामा को फांसी पर चढ़ाया, मगर आरएसएस की विचारधारा ने उनकी मदद की। ये भी मत भूलिए, वनवासी शब्द के पीछे ये भी सोच है। ये सिर्फ तांत्या मामा जी के साथ ही नहीं किया गया, ये बिरसा मुंडा जी के साथ भी किया गया। इन दोनों महापुरुषों ने आदिवासियों की लड़ाई लड़ी, अंग्रेजों से लड़ाई लड़ी और कांग्रेस पार्टी ने हिंदुस्तान से अंग्रेजों को भगाया।”

“जब हम अंग्रेजों से लड़ाई लड़ रहे थे, उन्होंने आपके महापुरुषों को फांसी पर लटकाया। तब आरएसएस अंग्रेजों के साथ खड़ी थी, ये पूरी दुनिया जानती है और ये याद रखिए, ये जो वनवासी शब्द है, ये आपको खत्म करने का शब्द है। आदिवासी शब्द जो है, ये आपको हक दिलवाने का और ये आपको हिंदुस्तान के असली मालिक बनाने का शब्द है।”

खंडवा से सुशील विधानी की रिपोर्ट


About Author
श्रुति कुशवाहा

श्रुति कुशवाहा

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।

Other Latest News