खंडवा।
आने वाली 19 मई जिन को जिन आठ लोकसभा सीटों पर मतदान होना है। उनमे से मध्यप्रदेश की खंडवा लोकसभा सीट काफी हाईप्रोफाइल मानी जा रही है क्योंकि इस सीट पर दोनों ही प्रमुख राजनैतिक दल भाजपा और कांग्रेस की ओर से पूर्व प्रदेश अध्यक्ष आमने-सामने है। खंडवा शहर नर्मदा और ताप्तीप नदी के मध्य बसा है। इस शहर की लोकसभा सीट पर अभी भाजपा काबिज है। भाजपा ने नंदकुमार सिंह चौहान पर फिर से भरोसा जताया है तो कांग्रेस की ओर से अरुण यादव चुनावी मैदान में है। भाजपा के प्रत्याशी भाजपा पूर्व प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान को खंडवा लोकसभा क्षेत्र की जनता ने सबसे ज्यादा 5 बार दिल्ली पहुंचाया है।
अब तक भाजपा ने 1996 के बाद से नंदकुमार सिंह को इस सीट से कुल 6 बार अपना प्रत्याशी बनाया। जिसमे से 5 बार उनको जीत हासिल हुई तो वही 1 बार 2009 में हार का मुँह देखना पड़ा। यहीं अगर बात की जाए 2014 में हुए लोकसभा चुनाव की तो यहां भाजपा के नंदकुमार सिंह चौहान ने कांग्रेस के प्रत्याशी अरुण यादव को 25,97,14 वोटों से हराया था।
इस लोकसभा सीट के अंतर्गत 8 विधानसभा सीटें आती है इन 8 लोकसभा सीटों में से 4 पर कांग्रेस, 3 पर भाजपा और 1 सीट पर निर्दलीय विधायक है।
हालांकि इस सीट पर बीते कई बार भाजपा ने आसानी से जीत हासिल की हो लेकिन इस बार इस लोकसभा सीट पर सियासी व राजनैतिक हालात बदले हुए हैं क्योंकि प्रदेश की सत्ता से भाजपा बाहर हो चुकी है। मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो इस बार कई बार भाजपा नेताओं की गुटबाजी भी बीच बीच में सामने आई है। ऐसे में इस सीट पर भाजपा की वापसी काफी कठिन मानी जा रही है। तो वहीं प्रदेश की सत्ता हासिल करने के बाद से कांग्रेस की पूरी कोशिश इस बार इस लोकसभा सीट पर अपनी हार को जीत में बदलने की होगी। हालांकि यह तो वक्त ही बताएगा कि इस सीट पर कौन बाजी मारेगा।
हार का बदला लेने का मौक़ा
खण्डवा लोकसभा सीट कांग्रेस और भाजपा के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बनी हुई है । भाजपा के दिग्गज पूर्व प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान मौजूदा सांसद हैं। इस सीट पर कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव और नंदकुमारसिंह चौहान के बीच दो बार मुकाबला हो चुका है । पहली बार मे अरुण यादव विजयी हुए थे लेकिन दूसरी बार सिंह ने अपनी हार का बदला ले कर यादव को पराजित कर दिया । इस तरह मुकाबला 1- 1 से बराबर है और दोनों दिग्गजों के हार का बदला लेने का मौक़ा है|