त्योहार खत्म होने के बाद जागा खाद्य एवं औषधि विभाग, दुकानों से लिए जा रहे सैंपल

Gaurav Sharma
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खंडवा,सुशील विधानी। इस वर्ष के त्योहारों का सीजन खत्म होने के बाद खाद्य एवं औषधि विभाग का अमला जाग गया है। हालांकि अब भी केवल विभिन्न दुकानों का निरीक्षण कर केवल सैंपल लिए जा रहे हैं। सैंपल की जांच रिपोर्ट आने तक नया वर्ष शुरू हो जाएगा। साथ ही मिलावटी व दूषित खाद्य सामग्री की बिक्री हो चुकी होगी।

दुकानों से लिए गए सैंपल

खाद्य एवं औषधि विभाग ने आज शहर की कई मिठाई और दूध की दुकानों से जांच के लिए सैंपल लिए है। इनमें से अब तक किसी की जांच रिपोर्ट आने व किसी भी दुकान में कार्रवाई की बात सामने नहीं आई है। वहीं खाद्य औषधि विभाग के राधेश्याम गोले ने बताया कि राज्य शासन के निर्देशों का पालन करते हुए यह जांच शुरू की गई है। मिलावट बंद हो इसको लेकर आज खंडवा शहर की 10 से अधिक दुकानों में जांच की गई है, जिसमें मिठाई-दूध सहित अन्य दुकानें शामिल है।

खुले में खाद्य सामग्री के विक्रय पर लगा प्रतिबंध 

खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत सरकार ने खुले में खाद्य सामग्री के विक्रय पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाया हुआ है। सरकार के सख्त निर्देश है कि खाद्य सामग्री पेकिंग में बेची जाए। जिससे कि वह दूषित नहीं हो, लेकिन जिले में खाद्य सुरक्षा अधिनियम के मानकों का पालन नहीं किया जा रहा है। नगर के कई होटलों में सफाई का अभाव साफ दिखाई देता है, जिन सामानों से खाद्य सामग्री बनाई जाती है, (तेल, बेसन, मैदा, मसाले, सब्जियां आदि) उनके भंडारण में लापरवाही बरती जा रही है। नगर के साथ ग्रामीण अंचल में भी खाद्य सामग्री का विक्रय करते समय लापरवाही बरती जा रही है। रोड किनारे लगाने वाले ठेलों और रेस्टोरेंट में दिनभर वाहनों की धूल घुसती है। खाद्य सामग्री के दूषित होने से अनजान दुकान मालिक विक्रय कर रहे है। इस ओर अब तक विभाग का ध्यान नहीं है।

रिपोर्ट का करना पड़ता है इंतजार

खाद्य सुरक्षा अधिकारियों के पास फल फ्रूट से लेकर नमकीन, मिठाई, मावा, आटा, बेसन मसाले व अन्य लगभग सभी खाद्य पदार्थों की जांच की जिम्मेदारी रहती है, लेकिन होली, दीपावली, दशहरा, नवरात्र और दीपावली के मौके पर ही सेम्पल नहीं लिए जाते, बल्कि त्योहार खत्म होने के बाद औपचारिकता निभाई जाती है। जांच के लिए लैब में औपचारिकता निभाने के लिए कुछ सैंपल भेज दिए जाते हैं। त्योहार खत्म होने के बाद रिपोर्ट का इंतजार रहता है।

त्योहार खत्म होने के बाद जागा खाद्य एवं औषधि विभाग, दुकानों से लिए जा रहे सैंपल

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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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