खंडवा, सुशील विधानी। मध्य प्रदेश (MP) के खंडवा जिले (Khandwa District) में अधिकारियों की सख्ती के बावजूद खंडवा के निजी स्कूलों की मनमानी कम होने का नाम नहीं ले रही है। एक निजी स्कूल (Private School) में करीब 100 से अधिक बच्चों को स्कूल के बाहर निकाल दिया गया। कहा जा रहा है कि बच्चों को सिर्फ इसलिए स्कूल से निकाला गया क्योंकि उनके अभिभावकों ने स्कूल में फीस जमा नहीं की थी। वहीं स्कूल प्रबंधन का कहना है कि परीक्षा के समय बच्चों ने एडमिट कार्ड नहीं लेकर आए थे जिसकी वजह से उन्हें बाहर किया गया।
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खंडवा कि द निमाड़ एजुकेशन सोसाइटी द्वारा संचालित “अरविंद कुमार नितिन कुमार स्कूल” में सोमवार सुबह करीब 8 बजे लगभग 100 से अधिक बच्चों को स्कूल से बाहर निकाल कर चैनल गेट बंद कर दिया गया और उस पर ताला लगा दिया गया। सभी बच्चों को करीब दो घंटे तक बाहर खड़ा रखा गया। वहीं जब इसकी जानकारी बच्चों के परिजनों को लगी तो अभिभावकों और स्कूल प्रबंधन के बीच जमकर विवाद हुआ। वहीं जब हंगामे की सूचना पुलिस को मिली तो डायल हंड्रेड दल-बल के साथ मौके पर पहुंचे और समझाइश के बाद मामले को शांत किया, जिसके बाद स्कूल प्रबंधन ने बच्चों को स्कूल के अंदर ले लिया।
इस मामले में अरविंद कुमार नितिन कुमार स्कूल प्रबंधक सतीश पटेल का कहना है कि बच्चो को बाहर नहीं किया गया है। अभी परीक्षा चल रही है, जिसके लिए हमने एक हफ्ते पहले ही एडमिट कार्ड जारी कर दिए थे। जिन बच्चों के पास एडमिट कार्ड थे वह परीक्षा दे सकते थे। आज जो बच्चे बिना एडमिट कार्ड के आए तो उन्हें क्लास से बाहर निकाला गया। जिन अभिभावकों ने फीस जमा नहीं की थी उनके बच्चों के एडमिशन कार्ड रोके गए थे, बाद में परिजनों से लिखित में फीस जमा करने की बात कही गई और उन्होंने लिखित में दे दिया। जिसके बाद सभी बच्चों को स्कूल प्रबंधक द्वारा परीक्षा में बैठाने के लिए लिए अंदर ले लिया गया।
परिजनों का कहना है कि लॉकडाउन के चलते आर्थिक स्थिति काफी डगमगा गई थी। इस कारण बच्चों की फीस जमा नहीं कर पाएं लेकिन बच्चों को परीक्षा से वंचित करना और बच्चों को स्कूल से बाहर करना यह कहां का न्याय है। यह केवल हठधर्मिता है स्कूल प्रशासन की जिला प्रशासन को इसी स्कूल प्रबंधक के विरुद्ध कड़ी से कड़ी कार्रवाई करना चाहिए।
इधर, पुलिस का कहना है कि स्कूल के कुछ बच्चों को फीस नहीं भरने के कारण बाहर निकाल दिया गया । सूचना मिलते ही हम मौके पर पहुंचे और स्कूल प्रबंधन और परिजनों को समझाइश देकर मामला शांत कराया। जिन अभिभावकों को फीस भरने में समय लग रहा था उन्हें समय ले लिया है स्कूल मैनेजमेंट ने भी इस बात को मान लिया है।
गौरतलब है कि एक और प्रदेश सरकार बच्चों को अच्छी शिक्षा देने की बात कर रही है और बच्चों के भविष्य के लिए हर प्रयास कर रही है। लेकिन इन निजी स्कूलों की मनमानी के चलते बच्चों का भविष्य खतरे में नजर आ रहा है। क्योंकि अगर परीक्षा से पहले बच्चे इस तरह के हंगामे से गुजरेंगे तो वह अपनी परीक्षा और पढ़ाई पर कैसे ध्यान लगा पाएंगे।