गणगौर घाट पर बिखरी अनोखी छटा, उदयीमान भगवान सूर्य को दिया गाय के दूध से अर्घ्य

खंडवा, सुशील विधानी| भगवान भास्कर की आराधना का महापर्व छठ शनिवार सुबह उदयीमान सूर्य के अघ्र्य के साथ पूरा हुआ। व्रती परिवारों ने अघ्र्य के बाद पारण किया। इसके साथ ही चार दिवसीय अनुष्ठान संपन्न हुआ। महापर्व छठ की छटा शनिवार सुबह 5 बजे से ही आबना नदी के गणगौर घाट पर बिखरी। शहर के व्रती परिवार सुबह 5 बजे घाट पर पहुंचकर घर पर बनाए पकवान के साथ भगवान सूर्य के उदयीमान होने तक जप करते रहे। व्रती परिवारों ने गाय के दूध से भगवान सूर्य को अघ्र्य दिया। महापर्व छठ पूजा समिति की ओर से गणगौर घाट पर व्रती परिवार एवं घाट पर दर्शन के लिए आए भक्तों को प्रसादी का वितरण किया गया।

समाजसेवी सुनील जैन ने बताया कि श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए पानी के अंदर नाव लेकर होमगार्ड के जवान तैनात रहे। घाट पर दो सीढिय़ों के बाद नीचे कोई न जाए इसके लिए सुरक्षा के तहत रस्सा बांधा गया था। नगर निगम ने श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए घाट पर प्रकाश, टेंट के साथ शौचालय एवं पेयजल की व्यवस्था की थी। अदभुत, अतुलनीय, अकल्पनीय शनिवार गणगौर घाट खंडवा के पास हो रहे महान छठ पूजा का अविस्मरणीय दृश्य देखा। लगा कि सम्पूर्ण बिहार प्रदेश यहां आ गया है। इतिहास के पन्ने ये सही कहतें हैं कि जिस प्रदेश के लोग अपने गांव, शहर से दूर धनोपार्जन, कमाने, नौकरी, शिक्षा को जाते हैं और अपने साथ अपनी मिट्टी की संस्कृति भी ले जाते हैं वहीं सम्पूर्ण जगत में अपने संस्कृति वाहक होते हैं। आज सम्पूर्ण विश्व में छठ पूजा हो रहा है और लोग इसके महत्व को समझ पा रहें हैं इसके लिए इन सभी संस्कृति वाहक को शत शत नमन।। उगते और डूबते सूरज को भी नमन सिर्फ छठ पूजा में ही करते हैं। वर्षों पुराने, खाने में मजेदार, हाथ से बनाया जाने वाला ठेकुआ हर अमीर, गरीब के घर मे बनाया जाता है। ऐसा शायद ही किसी पर्व में होता है जिसमे सभी वर्ग के लोग लकड़ी से बने सूप, ठेकुआ, ऊँख, गागल, सुथनी, नारियल, लहसुन, मिट्टी के बर्तन जैसे प्राकृतिक, शुद्ध और सामान्य चीजों से पूजा को करते हैं। प्रकृति, सृष्टि और स्त्रीयों के इस पर्व में किसी भी तरह का वैभव का प्रदर्शन नहीं होता है।


About Author
न्यूज डेस्क, Mp Breaking News

न्यूज डेस्क, Mp Breaking News