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Sat, Dec 20, 2025

एक ऐसा रहस्यमय मंदिर, जहां माता की मूर्ति दिन में बदलती है तीन बार अपना स्वरूप

Written by:Amit Sengar
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एक ऐसा रहस्यमय मंदिर, जहां माता की मूर्ति दिन में बदलती है तीन बार अपना स्वरूप

Khandwa Tulja Bhavani Mata News : यूं तो खंडवा अति प्राचीन जिला है यहां नर्मदा के तट पर ओंकारेश्वर ममलेश्वर ज्योतिर्लिंग है तो वही खंडवा नगरी में अति प्राचीन 4 कुंड है सूरजकुंड, रामेश्वर कुंड, पदम कुंड और भीमकुंड, कुंडों का इतिहास रामायण काल महाभारत काल समय से बताया जाता है वही मां तुलजा भवानी का मंदिर जो अति प्राचीन है मां तुलजा भवानी यह मंदिर जहां मैया अपने भक्तों को तीन रूपों में दर्शन देती है।

इस मंदिर के बारे में कुछ ऐसी पौराणिक कथाएं भी जुड़ी हैं जिनसे यह प्रमाणित होता है कि यह मंदिर हजारों वर्ष पहले यानी त्रेता युग और द्वापर युग में भी मौजूद था और भगवान राम ने अपने वनवास के दौरान इस मंदिर में पूजा-पाठ भी की थी।इसके अलावा रामायण और महाभारत जैसे महान ग्रंथों में जिस खांडव वन के बारे में वर्णन मिलता है वह खांडव वन भी यही क्षेत्र माना गया है। और इसी खांडव वन के नाम पर इस क्षेत्र को खंडवा नाम दिया गया है।

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान श्रीराम ने इन्हीं खांडव वनों में अपने वनवास के दौरान समय बिताया था और इसी शक्तिस्थल पर लगातार 9 दिनों के लिए पूजा-अर्चना कर के लंका पर चढ़ाई से पूर्व माता से दिव्य अस्त्र-शस्त्र प्राप्त किए थे। जबकि कुछ लोगों का यह भी मानना है कि माता भवानी ने खरदूषण के आतंक को खत्म करने के लिए भगवान श्रीराम को कुछ विशेष और दिव्य अस्त्र-शस्त्र वरदान में दिए थे।

खंडवा जिले की धार्मिक एवं पुरातात्विक धरोहरों में माता तुलजा भवानी का यह मंदिर सबसे प्राचीन और प्रसिद्ध मंदिर माना जाता है। मंदिर के गर्भगृह में स्थापित भवानी माता साक्षात सिद्धीदात्री के रूप में विराजित हैं। अष्टभुजी से बनी माता की यह प्रतिमा सिंह पर सवार है जो राक्षसों का वध कर रही हैं। लेकिन, प्रतिदिन किये जाने वाले माता के विशेष श्रृंगार के कारण श्रद्धालुओं को माता का यह पूर्ण स्वरूप साक्षात रूप से दिखाई नहीं देता है।भवानी माता की यह प्रतिमा भी दिन में तीन बार अलग-अलग रूप बदलती है, जिसमें सुबह के समय बाल्यवस्था, दोपहर के समय युवावस्था और शाम के समय वृद्धावस्था का रूप होता है। शिवाजी महाराज की भी आराध्य देवी मां तुलजा भवानी ही है। किवदंती है कि शिवाजी को मां भवानी ने शमशीर प्रदान की थी। उसी शमशीर के तेज से उन्होंने मुगलों के दांत खट्टे किए थे।

चैत्र और अश्विन की नवरात्र के अवसर पर लगातार 9 दिनों तक यहां आस-पास के लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है। जिसके कारण मंदिर क्षेत्र का माहौल एक विशाल मेले में बदल जाता है। तुलजा भवानी की महिमा जगजाहिर है. माता के चमत्‍कार से जुड़ी कहानियां भी अनादि काल से चली आ रही हैं। ऐसी मान्‍यता है कि कि माता रानी की जिसपर महर होती है, उसका उद्धार हो जाता है। मान्‍यता यह भी है कि यहां माता 24 घंटे में तीन बार अपना स्‍वरूप बदलती हैं मां तुलजा भवानी के 2 मंदिर हैं छोटी तुलजा भवानी माता और बड़ी तुलजा भवानी माता के नाम से जाना जाता है।

नवरात्र के विशेष पर्व के दौरान अष्टमी और नवमीं का पर्व बहुत ही उत्साह से मनाया जाता है। साथ ही प्रतिदिन मां शक्ति की पूजा अर्चना के लिए पारंपरिक गरबा उत्सव का भी आयोजन किया जाता है। माता तुलजा भवानी का यह अति प्राचीनकाल का मंदिर इस सम्पूर्ण निमाड़ क्षेत्र की आस्था का एक सबसे प्रमुख केन्द्र है।
खंडवा से सुशील विधाणी की रिपोर्ट