खंडवा, सुशील विधानी| घरों में जब घडिय़ां बंद हो जाती है तो अपशगुन मानकर हमारे बुजुर्ग उसे हटा देते हैं और नई चालू घड़ी दीवारों पर लगा देते हैं जिससे घर में समृद्धि और शांति बनी रहती है। खंडवा (Khandwa) के हृदय स्थल घंटाघर (Ghantaghar) की घडिय़ां (Watch) भी काफी दिनों से बंद हो जाने से शहर में होता हुआ विकास भी नजर नहीं आ रहा है। कहीं न कहीं घंटाघर की बंद घडिय़ां वास्तुदोष का कारण है, जिसके कारण शहर का विकास थम गया है।
पूर्व पार्षद व समाजसेवी सुनील जैन ने बताया कि वर्षो पूर्व अंग्रजों के शासन के समय की घडिय़ां घंटाघर पर लगी हुई थी लेकिन समय ज्यादा हो जाने के कारण घडिय़ों के पुर्जो ने काम करना बंद कर दिया तब से घडिय़ां बंद थी। बीच में चार इलेक्ट्रानिक घडिय़ां भी लगाई गई लेकिन हवा, पानी के चलते उनका सेटिंग बिगड़ जाने से वे भी बंद हो गई। जैन मुनि आचार्य प्रणाम सागर जी महाराज जब खंडवा पहुंचे थे तो उन्होंने घंटाघर क्षेत्र का अवलोकन करते हुए बंद घडिय़ों को देखा और सामाजिक बंधुओं के साथ ही नगर निगम के जनप्रतिनिधियों को भी बंद घडिय़ों को बदलने का अनुरोध किया था ताकि वास्तुदोष दूर होकर शहर विकास की ओर अग्रसर हो सके।