MP News : देश भर में इन दिनों डिजिटल अरेस्ट के मामले तेजी से बढ़ रहे है क्योंकि ठग कभी फेक अधिकारी बनकर लोगों को अपना शिकार बना रहे हैं। उन पर झूठा आरोप लगाकर उन्हें प्रताड़ित करते हैं। जिसके बाद खेल शुरू होता है पैसा ट्रांसफर कराने का। ठग इतने चालाक होते हैं कि पढ़ा-लिखा शख्स भी इनसे सहम कर लाखों रुपए भेज देता है। ऐसा ही एक मामला मध्यप्रदेश के खंडवा जिले का है जहाँ मेडिकल कॉलेज जिला अस्पताल में पदस्थ स्टाफ नर्स कंचन उइके को 21 घंटे डिजिटल अरेस्ट किया गया। महाराष्ट्र क्राइम ब्रांच से फर्जी फोन व वीडियो काल के जरिए आरोपियों ने नर्स को ड्रग्स की सप्लाई में तस्कर के साथ नाम आने की धमकी देकर उसके ही कमरे में बंधक बनाकर रखा। नर्स को पानी पीने के लिए भी मोबाइल के सामने से उठकर जाने नहीं दिया। हर कॉल का स्क्रीन शेयर करने के निर्देश आरोपियों ने नर्स को दिए। साइबर फ्राड में फंसी नर्स अपने ही घर में शुक्रवार दोपहर 2 बजे से शनिवार सुबह 11 बजे तक 21 घंटे मोबाइल के सामने बैठी रहीं।
इधर, नर्स के बाहर न आने से मकान मालिक और परिचित परेशान होकर जब दरवाजा पीटने लगे तो वह हिम्मत कर मोबाइल के सामने से उठी। नर्स ने अपने परिचित और मकान मालिक को पूरा मामले को बताकर रोने लगी। इसके बाद परिजन मामले की शिकायत करने एसपी कार्यालय पहुंचे। जहां साइबर क्राइम ब्रांच में लिखित में शिकायत की। पुलिस मामले की जांच कर रही है। इधर, साइबर फ्रॉड की सबसे ज्यादा घटनाएं अकेले रहने वाले नौकरी पेशा लोगों के साथ ही हो रही है। घटनाक्रम को लेकर खंडवा एसपी ने आम जनता से भी इस तरह की घटनाक्रम को लेकर खास अपील की है।
जागरूक करने के लिए जारी की एडवाइजरी
खंडवा एसपी मनोज कुमार राय ने जानकारी देते हुए बताया कि पुलिस कभी भी डिजिटल अरेस्ट नहीं करती है। इसे लेकर भारतीय पुलिस का कोई कानून नहीं है। इस प्रकार के फोन या वीडियो कॉल्स आते हैं तो वह फ्रॉड है। इसकी आप अपने नजदीकी पुलिस थाना और साइबर सेल में शिकायत करे। पुलिस की ओर से लोगों को जागरूक करने के लिए एडवाइजरी भी जारी की गई है। ऐसे फेंक डिजिटल अरेस्ट जैसी घटना से अपने आसपास के लोगों को भी जागरूक करें। वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी हल ही में मन की बात कार्यक्रम में लोगो को इससे सतर्क रहने की बात कही है।
खंडवा से सुशील विधाणी की रिपोर्ट