खरगोन : सनावद सिविल अस्पताल में नहीं बचा कोरोना का कोई भी गंभीर मरीज, सभी स्वस्थ होकर लौटे घर

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खरगोन, बाबूलाल सारंग। जिले के सनावद सिविल अस्पताल (Sanawad Civil Hospital) में अब कोई भी गंभीर मरीज नहीं है। डॉ. हंसा पाटीदार ने बताया कि सिविल अस्पताल में अब एक भी कोरोना (Covid-19) का मरीज नहीं है,  शुक्रवार को आखिरी मरीज को डिस्चार्ज दे दिया गया है। अस्पताल में कई मरीज गंभीर हालात में पहुंचे थे जो कि पूरी तरह स्वस्थ होकर घर लौट चुके हैं।

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डॉ. हंसा पाटीदार ने बताया कि कोई बेड नहीं मिलने के कारण तो कोई अत्यंत चिंताजनक हालातों के बीच सिविल अस्पताल पहुंचे थे। सनावद में दूसरी लहर का अत्यधिक प्रकोप होने पर यहां पृथक से पॉलिटेक्निक में सीसी सेंटर भी बनाया गया था। जहां माइल्ड स्टेज के मरीजों को और सनावद सिविल अस्पताल में क्रिटीकल मरीजों को भर्ती किया जाता था। उन्होंने बताया कि हमने यहां ऐसे मरीजों को भी स्वस्थ किया है, जिनका लंग्स इंफेक्शन 80 प्रतिशत तक और ऑक्सीजन सेच्युरेशन 43 प्रतिशत होने के बावजूद भी स्वस्थ होकर घर पहुंचे है। दूसरी लहर में सिविल अस्पताल में कुल 71 मरीजों को भर्ती किया गया था, जिनमें से 32 पूरी तरह स्वस्थ होकर घर लौटे। जबकि 39 ऐसे मरीज थे, जो स्वयं की व्यवस्था हो जाने पर खंडवा, इंदौर या खरगोन अपनी मर्जी से रेफर हुए।

स्वस्थ होकर डॉक्टर से मिलने पहुंची मरीज

सिविल अस्पताल सनावद में आज से 20 दिन पूर्व 50 से 60 प्रतिशत तक लंग्स इंफेक्शन व 43 प्रतिशत ऑक्सीजन सेच्युरेशन की क्रिटीकल स्थिति में हेमलता जायसवाल को लाया गया था। दो घंटे तक ऑक्सीजन देकर डॉ. हंसा पाटीदार द्वारा उपचार किया गया। मगर हालात बहुत ही नाजुक होने पर डॉ. पाटीदार ने मरीज को बचाने के लिए सामान्य मरीज के पास से ऑक्सीजन सिलेंडर निकालकर एंबुलेंस में रखा और बॉयपेप की सुविधा नहीं होने से हेमलता को खरगोन जिला चिकित्सालय रेफर किया। खरगोन में सामान्य बेड पर ही बॉयपेप लगाकर उपचार किया गया और रेमडेसिवीर इंजेक्शन लगाए गए। जब स्वस्थ हुई, तो हेमलता जायसवाल घर जाने से पूर्व डॉ. हंसा पाटीदार से मिलने पहुंची और उन्हें धन्यवाद दिया।

खंडवा में बेड नहीं मिला, तो सनावद में मिला उपचार

शुक्रवार को खंडवा जिले के छैगांव माखन निवासी 50 वर्षीय मेहताब पिता मंगुसिंग का भी स्वस्थ होकर अपने घर लौट गया। इनका सनावद में पिछले 22 दिनों से उपचार किया जा रहा था। डॉ. हंसा पाटीदार ने बताया कि खंडवा में बेड नहीं मिलने पर 29 अप्रैल को मेहताब सनावद सिविल अस्पताल में आए थे। उस समय में उनका लंग्स इंफेक्शन 75 प्रतिशत और ऑक्सीजन सेच्युरेशन 70 प्रतिशत था। इन्हें लगातार ऑक्सीजन की जरूरत के साथ-साथ रेमडेसिवीर इंजेक्शन की भी जरूरत पड़ी। सनावद सिविल अस्पताल से शुक्रवार को मेहताब पूरी तरह स्वस्थ होकर घर लौट गए। मेहताब सनावद में भर्ती कोरोना के आखिरी गंभीर मरीज थे।

18 वर्षीय बालिका को इंदौर में नहीं मिला बेड

सनावद की 18 वर्षीय प्रेरणा वर्मा का लंग्स इंफेक्शन 75 प्रतिशत व ऑक्सीजन सेच्युरेशन 70 प्रतिशत था। इनको निजी अस्पताल ने भर्ती करने से मना कर दिया था। इंदौर में भी बेड की व्यवस्था हुई, लेकिन वहां भी निजी अस्पताल ने भर्ती नहीं किया। तब सनावद की डॉ. पाटीदार से परिजनों ने बात की और बहुत ही नाजुक स्थिति में भर्ती किया गया। शुक्रवार को वो भी पूरी तरह स्वस्थ होकर अपने घर लौट चुकी है। इसी तरह बड़वाह के 50 वर्षीय प्रकाश शोभाराम 80 प्रतिशत लंग्स इंफेक्शन के शिकार हो गए थे। इन्होंने 15 दिनों तक जिंदगी व मौत के बीच संघर्ष किया और वे भी सिविल असपताल से स्वस्थ होकर घर लौट चुके है।


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Prashant Chourdia

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