खरगोन, बाबूलाल सारंग। खरगोन (Khargone) जिले में कई ऐसे गांव है, जिन्होंने समय रहते अपनी ग्रामीण जनता को कोरोना संक्रमण (Corona infection) से दूर रखने की दिशा में स्वप्रेरणा से जनता को कोरोना मुक्त रखने में प्रयास सफल हुए है। हालांकि इसमें शासन व प्रशासन का भी महत्वपूर्ण योगदान रहा। जिले में ऐसे चुनिंदा गांव है, जिन्होंने कोरोना की भयावता को समझा और सूझबूझ से काम लिया। साथ ही कई गांव में यह भी देखने में आया कि जरा सी लापरवाही दिखी, तो वहीं पर कोरोना ने अपनी दस्तक बढ़ा दी। चाहे वह शहर के मोहल्ले हो, आईसोलेट मकान हो या छोटे कस्बे या कोई गांव। हर जगह कोरोना ने अपना विकराल रूप दिखाया। इस बीच जिले में ऐसे गांव भी है, जिन्होंने दूरदृष्टिता का परिचय देते हुए सुरक्षात्मक उपाय भी किए। जिले की 591 ग्राम पंचायतों में आज भी ऐसे 133 ग्राम पंचायतें है, जिन्हें कोरोनामुक्त ग्राम पंचायतें कहा जा सकता है। इन ग्राम पंचायतों में ऐसे दर्जनों गांव है, जिन्होंने स्वप्रेरणा से न सिर्फ नाकाबंदी की, बल्कि स्थानीय स्तर पर जो भी उपाय हो सके, उनकों लागू करते हुए अमल कराने में भी कोताही नहीं बरती। लिहाजा यह गांव आज भी सुरक्षित है।
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गांव में जुर्माने तक की चेतावनियां भी
जिला पंचायत के सहयोग से ग्रामीण क्षेत्रों में जन जागरूकता के कई आयोजन किए गए। ऐसे आयोजनों में न सिर्फ रोजगार सहायक व सचिव, बल्कि जनपद स्तरीय अमले ने भी अहम भूमिका निभाई। धीरे-धीरे ही सही, लेकिन कई गांव में इसका सकारात्मक असर देखने में भी आया। ढ़कलगांव पंचायत के नलवा गांव में बाहरी व्यक्तियों के प्रवेश पर पूरी तरह पाबंदी लगाई। जब यहां जनपद स्तरीय अधिकारी भी पहुंचे, तो गांव के ग्रामीणों के साथ नाकाबंदी वाले स्थान पर ही बातें की। किसी को भी अंदर नहीं जाने दिया। ग्राम समिति बनाकर जनता कर्फ्यू का पालन नहीं करने पर कार्यवाही भी की। साथ ही यहां बिना मास्क के नजर आने पर जुर्माने की भी चेतावनी दी गई। चौपालों पर बेवजह बैठकर भीड़ एकत्रित करने पर भी चेताया गया।
जिंदगी रही, तो आगे कई आयोजन धुमधाम से करेंगे
जिले की सबसे पहाड़ी वाले जनपद भगवानपुरा के कुम्हारखेड़ी वनग्राम में तो ग्रामीणों ने स्वप्रेरणा से शादियों के आयोजन पर ही प्रतिबंध लगा दिया। जबकि आने वाले समय में इसी गांव में अकातिज (अक्षय तृतीया) पर 6 शादियां प्रस्तावित थी। यहां के सरपंच इकराम वास्कले और पटेल श्यामसिंह रतन ने ग्रामीणों के साथ 4 मई को एक बैठककर यह ऐलान भी किया कि जिंदगी रही, तो आगे कई आयोजन धुमधाम से करेंगे, लेकिन अभी हम सभी का जीवन ज्यादा जरूरी है। इसलिए कोरोना काल के बाद ही शादियां आयोजित होगी। इन सबके अलावा जिले में खासकर आदिवासियों के सबसे महत्वपूर्ण पर्व भौंगरिया हाट बाजारों पर भी एक अनोखी व चमकदार जागरूकता देखनें को मिली। यहां प्रशासन के अनुरोध व आदिवासी सामाजिक संगठनों के आव्हान पर भौंगरिया पर प्रतिबंध का निर्णय सर्वमान्य करते हुए पालन किया, जिसकी बदौलत ग्रामीण क्षेत्रों में कोरोना किसी हद तक सीमित रहा।
गांवों में 479 सक्रिय मरीज
जिले में 591 ग्राम पंचायतों में से 458 ग्राम पंचायतें ऐसी है, जहां कोरोना की दस्तक हुई है। वहीं कुछ ऐसी बड़ी ग्राम पंचायतें भी है, जहां कोरोना ने हद से आगे बढ़कर विकराल रूप भी दिखाया। जिला पंचायत से प्राप्त जानकारी के अनुसार 17 मई तक की स्थिति में ग्राम पंचायतों में 479 सक्रिय मरीज है। इनमें खासकर बिस्टान में 16, गोगावां में 12, झिरन्या व ऊन में 5-5, टेमला में 7 जैसे गांव में सक्रिय मरीज है। वहीं गांव की सुरक्षा के लिए शासन द्वारा किल कोरोना अभियान चलाया जा रहा है। यह अभियान न सिर्फ ग्रामीण क्षेत्रों, बल्कि शहरी क्षेत्रों में कार्य कर अच्छा परिणाम दे रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में किल कोरोना अभियान के लिए प्राथमिक सर्वे के लिए 981 सर्वे और 328 सुपरवाईजरी दल गठित किए गए है। अब तक 18 मई तक 13 लाख 40 हजार 842 लोगों का सर्वे किया जा चुका है, जिसमें 15 हजार 378 व्यक्तियों को संदिग्ध अवस्था में चिन्हित किया गया। इनमें से 32 लोगों को सुपरवाईजरी टीम द्वारा सीसी सेंटर भेजा जा चुका है और 1 हजार 316 लोगों को फीवर क्लिनिक के लिए रेफर किया गया तथा 11 हजार 451 को मेडिकल कीट प्रदाय की गई। साथ ही 216 लोग की कोरोना-3 अभियान के तहत पॉजिटिव पाए गए।