College Exam 2021: पढ़ाई ऑनलाइन तो परीक्षा ऑफलाइन क्यों, कॉलेज छात्रों ने उठाये सवाल

Pooja Khodani
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बड़वाह, बाबुलाल सारंग।  कोरोना (Coronavirus) महामारी के दौरान महाविद्यालयों (College) में ऑनलाइन पद्धति द्वारा पढ़ाई (Online Classes) करवाई गई थी, केवल तीन माह की ऑनलाइन पढ़ाई के बाद विश्विद्यालय द्वारा ऑफलाइन परीक्षा (Offline Exam) का टाइम टेबल (Time Table) जारी कर दिया, जिसको लेकर सोमवार जवाहर लाल नेहरू शासकीय महाविद्यालय में छात्र संस्था मुक्ति फाउंडेशन ऑफ यूथ के लगभग 300 छात्रों (College Student) द्वारा देवी अहिल्या विश्व विधालय कुलपति के नाम का ज्ञापन सोमवार को प्रोफेसर मंगला ठाकुर को सौपा गया।

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ज्ञापन का वाचन हर्षित चंद्रवंशी द्वारा करते हुए इस वर्ष कोविड 19 के कारण हमारी पढाई पर गहरा प्रभाव पडा है। साथ ही ऐसी अन्य समस्याएं भी आई जैसे नेटवर्क समस्या, अध्यापकों की आवाज साफ़ नही आना या फिर पिक्चर साफ़ नही आना आदि कारणों के चलते पढ़ाई प्रभावित हुई । बावजूद इसके अब कोरोना तेजी से फैल रहा है तो परीक्षाएं ऑनलाइ की जगह ऑफलाइन क्यों ली जा रही है।

पढ़ाई ऑनलाइन करवाई है तो परीक्षाएं ऑफलाइन क्यों ?

संस्था के महाविद्यालय प्रभारी हर्षित चंद्रवंशी ने बताया कि जब पढ़ाई ऑनलाइन करवाई है तो परीक्षाएं ऑफलाइन क्यों ? परीक्षा का पैटर्न भी ऑनलाइन या घर से ओपन पद्धति(Open book system) द्वारा करवाई जानी चाहिए। छात्रों ने देवी अहिल्या विश्वविद्यालय (DAVV Indore) के कुलपति के समक्ष यह मांग रखी कि इस वर्ष कोरोना काल मे पढ़ाई हो नही पाई है । लगातार मरीजो की संख्या बढ़ती जा रही है कॉलेज के 2 प्रोफेसर भी अस्पताल (Hospital) में भर्ती है ऐसे में छात्र परीक्षा देने कॉलेज आएं यह ठीक नही होगा अतः परीक्षाएं ओपन पद्धति से सम्पन्न कराई जाए। ।

कोविड 19 के मरीजो कि संख्या में ईजाफा

संस्था प्रमुख विशाल वर्मा ने बताया कि कोरोना के मरीजो की सँख्या लगातार बढ़ती जा रही है।हर शासकीय आशासकीय आयोजनों के लिए शासन (MP Government) ने गाइड लाइन जारी की हुई है तो छात्रों को कॉलेज आने के लिए बाध्य क्यों किया जा रहा ? परीक्षाएं भी ऑनलाइन ली जा सकती है।इस मौके पर अर्पित व्यास, पवन ठाकरे, अंकित यादव, गुरदीप सिंह, नितेश पाण्डेय, आयुष हर्षिता,मनीषा,स्नेहा ,आँचल आदी का सहयोग रहा ।ज्ञापन का वाचन हर्षित चन्द्रवँशी ने किया तथा आभार भावेश सोनी ने माना।


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खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। "कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ। खबरों के छपने का आधार भी हूँ।। मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ। इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।। दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)

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