Khargone News : शासकीय किताबें बेचने के मामले में इंदौर आयुक्त ने प्रभारी प्राचार्य राठौड़ को किया निलंबित

Amit Sengar
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खरगोन, बाबूलाल सारंग। बड़वाह स्थानीय शासकीय उत्कृष्ट उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में पदस्थ शिक्षक सुधीर राठौड़ (principal rathod) द्वारा 28 जुलाई गुरुवार शाम करीब 5 बजे स्कूल कक्ष में रखी शासकीय किताबों को रद्दी में बेचने का मामला प्रतिनिधि द्वारा समाचार पत्रों के माध्यम से उजागर किया था। प्रकाशित खबरों के माध्यम से शिक्षक के इस कारनामे को लेकर शिक्षा विभाग के स्थानीय एवं जिले के वरिष्ठ अधिकारियों का ध्यान इस ओर आकर्षित करवाया था। जिसके बाद 13 सितंबर मंगलवार दोपहर में जब प्रतिनिधि ने डीईओ के.के डोंगरे से इस मामले में होने वाली कार्यवाही को लेकर चर्चा की तो उन्होंने जॉच प्रतिवेदन के आधार पर संभाग आयुक्त को निलंबन का प्रस्ताव बनाकर भेजने की बात कही थी।

Khargone News : शासकीय किताबें बेचने के मामले में इंदौर आयुक्त ने प्रभारी प्राचार्य राठौड़ को किया निलंबित

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जिला कलेक्टर के प्रतिवेदन के आधार पर हुई कार्यवाही
इंदौर आयुक्त द्वारा पाठ्यपुस्तकों के विक्रय के मामले में खरगोन कलेक्टर कुमार पुरुषोत्तम के प्रतिवेदन के आधार पर कार्यवाही की गई है। इस मामले में कलेक्टर कुमार द्वारा जिला शिक्षा अधिकारी के माध्यम से जांच करवाई गई थी। जांच के बाद स्थिति स्पष्ठ हुई। जांच में पाया कि शा.उत्कृष्ठ उमावि के प्राचार्य राठौर द्वारा शासकीय किताबें विक्रय के लिए समिति बनाई गई, मगर जांच दल को जांच दल बनाने के सम्बंध में कोई दस्तावेज प्रस्तुत नही किये गए। ज्ञात हो कि लोक शिक्षण संचालनालय द्वारा अनुपयोगी फर्नीचर के अपलेखन के लिए विधिवत प्रक्रिया अपना कर परिसर से बाहर करने के निर्देश है।

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जबकि बड़वाह में प्राचार्य राठौर द्वारा पाठ्यपुस्तकों विक्रय करने की योजना बनाई गई। जबकि शासन द्वारा पुस्तको विक्रय करने के सम्बंध में कोई निर्देश नही है। प्राचार्य द्वारा जिला शिक्षा अधिकारी से भी कोई अनुमति नही ली गई थी। उनके द्वारा वर्ष 2019 एवं पूर्व की पुस्तकें विक्रय करने का प्रयास किया था। प्राचार्य राठौर द्वारा पदीय दायित्वों के निर्वाहन में लापरवाही एवं उदासीनता बरती गई। जिसके कारण इंदौर आयुक्त ड़ॉ. पवन शर्मा ने मप्र सिविल सेवा वर्गीकरण, नियंत्रण तथा अपील नियम 1966 के नियम 9 के तहत निलंबित किया गया।


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मुझे अपने आप पर गर्व है कि में एक पत्रकार हूँ। क्योंकि पत्रकार होना अपने आप में कलाकार, चिंतक, लेखक या जन-हित में काम करने वाले वकील जैसा होता है। पत्रकार कोई कारोबारी, व्यापारी या राजनेता नहीं होता है वह व्यापक जनता की भलाई के सरोकारों से संचालित होता है।वहीं हेनरी ल्यूस ने कहा है कि “मैं जर्नलिस्ट बना ताकि दुनिया के दिल के अधिक करीब रहूं।”

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