भोपाल, डेस्क रिपोर्ट | 17 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने जन्मदिवस के अवसर पर मध्यप्रदेश की धरती ग्वालियर पधार रहे हैं। जहां वो श्योपुर के कूनो नेशनल पार्क आएंगे। इस दौरान प्रधानमंत्री चीता परियोजना का शुभारंभ करेंगे। जिसके लिए नामीबिया से चीता लाया जा रहा है। इन चीते की खास बात यह है कि, इसे शिकार करना नहीं आता। क्योंकि इनमें ज्यादातर घरेलू चीते हैं, जिन्हें हमेशा पिंजरे में रखा गया। जिसके कारण उन्हें शिकार करना नहीं आता। बता दें कि भारत में करीब 70 साल बाद चीता लाया जा रहा है। जिन्हें 17 सितंबर को इस अभ्यारण में पहुंचाया जाएगा। जिसे लेकर सभी प्रकार की तैयारियां शुरू कर दी गई है। पुलिस और प्रशासन दोनों ही सुरक्षा के कड़े इंतजाम करने में जुटे हुए हैं। वहीं जनता समेत पशु प्रेमी भी इस शुभ घड़ी का बड़ी बेसबरी से इंतजार कर रहे हैं। तो चलिए आज के आर्टिकल में हम बताते हैं चीतों (चीता) से जुड़ी जानकारी के बारे में बताते हैं।
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दरअसल, 17 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिवस पर मध्यप्रदेश के नेशनल पार्क में 80 से 100 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ने वाली चीतों को हेलीकॉप्टर से लैंड कराया जाएगा। जिसके बाद उन्हें सुरक्षा की दृष्टि से 1 महीना क्वॉरेंटाइन रखा जाएगा। उसके बाद ही उन्हें अभ्यारण में छोड़ा जाएगा। बता दें कि प्रधानमंत्री के आगमन के दौरान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान समेत अन्य कई बड़े नेता मौजूद रहेंगे। इस कदम से मध्य प्रदेश और केंद्रीय पर्यटन विभाग को काफी फायदा मिलेगा। चीता देखने के लिए पर्यटक दूर-दूर से यहां पर आएंगे। जिससे राजस्व का लाभ मिलेगा। जिसके लिए सारी सभी प्रकार की तैयारियां पूरी की जा चुकी है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इन चितों पर 5 सालों में लगभग 75 करोड़ खर्च किए जाएंगे। जिसमें इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन इन 5 सालों में 50 करोड़ खर्च करेगी।
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बता दें कि, चीता तेंदू से ज्यादा शक्तिशाली और फुर्तीला होता है। जोकि 4 सेकंड में 80 किलोमीटर से ज्यादा की स्पीड में भागता है और अपने शिकार को 20 सेकंड में मार देता है। चीता हफ्ते में केवल एक बार ही शिकार करता है। चीता की खास बात यह होती है कि वो कभी भी अपने शिकार को बीच में छोड़कर नहीं जाता।
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वहीं मुगल, राजपूत, मराठा साम्राज्य में और इसके बाद ब्रिटिश शासन काल में चीता पाला जाता था। राजाओं और महाराजाओं का चीता पालना एक शौक था। जिसकी मदद से वह जंगलों में शिकार के लिए जाते थे। चीता अधिकतर हिरण का शिकार करना पसंद करता है। ऐसा कहा जाता है कि, मुगल शासक अकबर के पास करीब 9 हजार से ज्यादा चीते थे। जिसे वो अपने शिकार के दौरान ले जाया करते थे।