रतलाम, सुशील खरे। जिले के जावरा चिकित्सालय में एक गंभीर मामला सामने आया है, जिसमें चिकित्सालय में डिलीवरी के लिए भर्ती एक महिला की दो अलग-अलग ब्लड ग्रुप रिपोर्ट आने से हडक़ंप मच गया। जावरा चिकित्सालय से महिला की ब्लड ग्रुप रिपोर्ट बी पॉजिटिव बताई गई है तो वही चिकित्सालय के सामने खुली जैन पैथोलॉजी लैब के द्वारा दी गई ब्लड रिपोर्ट बी नेगेटिव आई है। इसके पश्चात संशय की स्थिति पैदा हो गई तथा जावरा चिकित्सालय प्रशासन ने जांच की बात कही है।
जावरा के शासकीय महिला अस्पताल के सामने खुली इस जैन पैथोलॉजी लैब की यह कोई पहली शिकायत नहीं है, अब जिम्मेदार दोषियों को सजा देने की भी बात दोहराई है। इसमें राहत भरी वाली बात यह रही कि महिला की डिलीवरी होने के पश्चात उसको खून की आवश्यकता नहीं पड़ी।
वहीं इस पूरे मामले में बीएमओ डॉ दीपक पाडलिया ने बताया कि अगर ब्लड मिक्स हो जाता तो इस संशय की स्थिति में उसकी जान पर बन आती। महिला का पति एक ही रिपोर्ट कराता है और वह रिपोर्ट दोनों जगह में से गलत निकलती तो और बड़ी गंभीर घटना हो सकती थी। लापरवाही से महिला को गलत ब्लड ग्रुप का ब्लड चढ़ाया जा सकता था, जिससे उसकी जान जा सकती थी।
गौरतलब है कि पूरे रतलाम जिले में जगह-जगह पैथोलॉजी लैब खुल रही है, जो बिना मानकों के चल रही है। इसके अलावा ब्लड सैंपल कलेक्शन सेंटर भी पैथोलॉजी लैब के नाम पर खोले गए हैं। जहां से भी लापरवाही सिंपलों के आदान-प्रदान में हो सकती है, परंतु चिकित्सालय प्रशासन और जिला प्रशासन का इस ओर ध्यान नहीं है शायद किसी बड़ी दुर्घटना का इंतजार है। जिस प्रकार की लापरवाही जावरा में सामने आई है, इस प्रकार की लापरवाही से कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है और किसी की भी जान जा सकती है। प्रशासन को चाहिए बिना मानको वाली पैथोलॉजी लैब ऊपर रोक लगाएं जिससे आमजन को भरोसा रहे कि उनको जो रिपोर्ट मिली है वह सुरक्षित है और सही है।