डबरा के ग्रामीण और शहरी इलाकों में हाल ही में हुई भारी बारिश ने भारी तबाही मचाई है। दरअसल बाढ़ से कई परिवारों की गृहस्थी बह गई है। जिसके चलते वे लोग भोजन व अन्य बुनियादी आवश्यकताओं से वंचित हो गए हैं। वहीं पीड़ितों का कहना है कि उन्होंने इस आपदा में सब कुछ खो दिया है। वहीं प्रशासन की और से उन्हें कोई मदद नहीं मिल रही है।
दरअसल उनका कहना है कि प्रशासन की ओर से की जा रही मदद बेहद कम है। ₹5000 की नाममात्र आर्थिक सहायता पीड़ितों के भारी नुकसान के मुकाबले ऊंट के मुंह में जीरे जैसी लग रही है।
सर्वे टीम की बड़ी लापरवाही भी सामने आई
जबकि, कुछ जगहों पर सर्वे टीम की बड़ी लापरवाही भी सामने आई है। जानकारी के अनुसार बाढ़ पीड़ितों का कहना है कि नुकसान का सही आकलन किए बिना ही मुआवजे की खानापूर्ति की जा रही है, जिससे प्रभावित परिवारों को उचित मुआवजा नहीं मिल पा रहा है। वहीं पटवारी और अन्य अधिकारी अपनी जिम्मेदारियों को गंभीरता से नहीं निभा रहे हैं, जिससे स्थिति और भी गंभीर हो गई है।
लोग प्रशासन की उदासीनता से निराश
दरअसल वृंदा सहायक कॉलेज में शरण लिए लगभग 200 से 250 लोग प्रशासन की उदासीनता से निराश नजर आ रहे हैं। वहीं उनका कहना है, कि प्रशासन ने अब तक उनके भोजन या अन्य आवश्यकताओं की कोई व्यवस्था भी नहीं की है। दरअसल उन्होंने बताया कि 50 किलो राशन देने का वादा भी अभी तक पूरा नहीं हुआ है, और फिलहाल वे समाजसेवी संस्थाओं की मदद से ही अपना गुजारा कर रहे हैं।
वहीं डबरा खाद्य निरीक्षक संदीप पांडे ने बताया कि सर्वेयर टीम की लिस्ट के आधार पर ही राशन वितरण किया जा रहा है, जिसमें 40 किलो गेहूं और 10 किलो चावल दिया जा रहा है। हालांकि, कई क्षेत्रों में अभी तक सर्वे पूरा नहीं हुआ है, जिससे यह सवाल उठता है कि इन बाढ़ पीड़ितों ने इतने दिन बिना राशन के कैसे गुजारा किया होगा।