बीजेपी विधायक का कांग्रेस से सवाल” क्या विधायक जी का भी गंगाजल स्नान होगा?”

भोपाल डेस्क रिपोर्ट। बीजेपी के विधायक यशपाल सिंह सिसोदिया ने कांग्रेस पर कटाक्ष किया है। उन्होंने तंज कसते हुए कहा है कि लक्ष्मी बाई की समाधि पर केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के जाने के बाद समाधि को गंगाजल से धोने की नौटंकी करने वाले कांग्रेसी क्या अपने विधायक का भी गंगाजल स्नान कराएंगे।

तीन दिन पहले ज्योतिरादित्य सिंधिया अचानक रानी लक्ष्मीबाई की समाधि पर पहुंचे और उन्होंने वहां पर वीरांगना को पुष्पांजलि कर नमन किया। इसके बाद बवाल मच गया और कांग्रेस पार्टी ने इसे सिंधिया का राजनीतिक स्टंट बताया और कहा कि इससे रानी लक्ष्मीबाई की आत्मा दुखी हुई होगी। कांग्रेसियों ने कहा कि सिंधिया के जाने से समाधि अपवित्र हो गई है और इसे पवित्र करने की जरूरत है। इसके बाद मंगलवार को महिला कांग्रेस की कई कार्यकर्ता जिला अध्यक्ष रुचि गुप्ता के नेतृत्व में समाधि स्थल पर पहुंची और मुख्य द्वार पर गंगाजल डाला। जिस दिन सिंधिया रानी लक्ष्मी बाई की समाधि पर पहुंचे थे, उसी दिन एक सार्वजनिक कार्यक्रम में कांग्रेस विधायक सतीश सिकरवार ने उनके पैर छुए थे। बीजेपी के विधायक यशपाल सिसोदिया ने कांग्रेस के रानी लक्ष्मी बाई की समाधि पर गंगाजल छिड़क कर उसे तथाकथित रूप से पवित्र करने को लेकर सवाल पूछा है। उन्होंने कहा है कि कांग्रेस के विधायक सतीश सिकरवार ने ज्योतिरादित्य सिंधिया का सार्वजनिक रूप से चरण वंदन किया तो क्या सतीश सिकरवार का भी गंगाजल से स्नान कराया जाएगा? यशपाल ने ग्वालियर में लक्ष्मी बाई की समाधि पर कांग्रेस के गंगाजल से धोने को राजनीतिक नौटंकी बताया है।


About Author
Gaurav Sharma

Gaurav Sharma

पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है। इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।