मंदसौर पुलिस ने अन्तर्राज्यीय शातिर सायबर ठग गिरोह का किया पर्दाफाश, व्यापारी से की थी 38 लाख 67 हजार रुपए की ठगी, 04 आरोपी गिरफ्तार

गिरोह विभिन्न राज्यों से संचालित होकर फर्जी वेबसाइट और फर्जी दस्तावेजों के माध्यम से ठगी को अंजाम दे रहा था।

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MANDSAUR NEWS : मंदसौर पुलिस ने अन्तर्राज्यीय शातिर सायबर ठग गिरोह का पर्दाफाश करते हुए मुख्य सरगना सहित चार आरोपियों को गिरफ्तार किया है। आरोपियों ने मंदसौर के व्यापारी सूरज गुप्ता से 38 लाख 67 हजार 710 रुपये की ठगी की थी। गिरोह विभिन्न राज्यों से संचालित होकर फर्जी वेबसाइट और फर्जी दस्तावेजों के माध्यम से ठगी को अंजाम दे रहा था।

पीड़ित ने दर्ज करवाई थी शिकायत 

पीड़ित सूरज गुप्ता ने पुलिस अधीक्षक अभिषेक आनंद को शिकायत दर्ज कराई थी कि टाटा कंपनी की जुडियो फ्रेंचाइजी दिलाने के नाम पर फर्जी वेबसाइट और कॉल के माध्यम से 38.67 लाख रुपये ठग लिए गए। मामला को गंभीरता से लेते हुए थाना कोतवाली में बीएनएस के तहत प्रकरण दर्ज किया गया।

इस तरह पकड़े आरोपी 

पुलिस ने तकनीकी साक्ष्यों के आधार पर गिरोह की गतिविधियों का पता लगाने के लिए दो टीमें गठित की। एक टीम को बिहार के पटना और दूसरी टीम को पश्चिम बंगाल के कोलकाता भेजा गया। लगातार 13 दिनों की मेहनत के बाद मुख्य सरगना जितेंद्र सिंह उम्र 31 वर्ष निवासी हिसार, हरियाणा को कोलकाता एयरपोर्ट से गिरफ्तार किया गया। पूछताछ में आरोपी ने बताया कि वह अपने अन्‍य साथियों के साथ मिलकर ठगी को अंजाम देते थे। आरो‍पी जितेन्‍द्र कि निशानदेही पर पुलिस टीम ने अन्‍य आरोपी सचिन रंजन उर्फ अमित (33 वर्ष), निवासी नवादा, बिहार, अमिष (23 वर्ष), निवासी नवादा, बिहार तथा नितीश कुमार (23 वर्ष), निवासी नवादा, बिहार को बिहार के नवादा जिले से गिरफ्तार किया। आरोपियों के कब्जे से 23.31 लाख रुपये नगद, 11 मोबाइल फोन, 38 फर्जी सिम कार्ड, 30 एटीएम कार्ड, और 14 बैंक पासबुक बरामद की गई।

और भी कई खुलासे 

पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि बिहार पटना क्षेत्र के नवादा जिले से डोमैने प्राप्त कर फर्जी वेबसाईट तैयार करवाकर, ठगी करने के उद्देश्य से लोगो को कम्पनी की फ्रेन्चाईजी प्रोवाईड कराये जाने हेतु फर्जी कॉल करते थे एवं स्वयं को कम्पनी का अधिकृत कर्मचारी बताते हुए ग्राहको को पूर्ण विश्वास में लेकर फर्जी अधिकृत दस्तावेज तैयार कर ग्राहको से मोटी राशि बैंक खातो के माध्यम से वसूलते थे। इस कार्य हेतु विभिन्‍न बैंक खातों, फर्जी सिम, मोबाईल, एवं एटीएम कार्ड की आवश्यकता होती थी। पूरा गिरोह गोपनीय रूप से अपने अपने कार्य को अंजाम देता था।

 


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Sushma Bhardwaj

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