मुरैना, संजय दीक्षित। अल्प प्रवास पर मुरैना पहुँचे वन मंत्री विजय शाह (forest minister vijay shah) को अवैध उत्खनन से जुड़े सवालों का सामना करते हुए मुश्किलों का सामना करना पड़ा। पत्रकारों के सवालों का जवाब देने से वह आनाकानी करते रहे। मामला था कि चंबल में बरसों से रेत के अवैध उत्खनन का। इस बारे में सवाल पूछने पर पहले तो वो कह उठे कि अभी फिलहाल में तो जानकारी नहीं है, फिर उन्होने कहा कि मेरी जानकारी में है। इसके बाद भी अन्य सवालों पर वो टाल मटोल करते रहे।
अवैध उत्खनन मामले में वन मंत्री ने कहा कि बोल पड़े कि कहीं परमिशन है तो कहीं नहीं है। जबकि चंबल में कहीं भी अवैध रेत की परमिशन नहीं है। इसके अलावा जब उनसे पूछा गया कि इस अवैध खनन को रोकने के लिए वन विभाग का अमला क्या कर रहा है तो वह जवाब नहीं दे पाए और बोले की मुझे जानकारी नही हैं। वहीं उनका कहना था कि सीमित अमले में जो कर सकते हैं, कर रहे हैं। वनकर्मियों की सुरक्षा के लिए उन्होने कहा कि जल्द इनको हम शस्त्र लाइसेंस भी उपलब्ध कराएंगे। वनकर्मी शस्त्र लाइसेंसों को लेकर अवैध उत्खननकर्ताओं से लोहा लेने जाएंगे।
मंत्री विजय शाह की बातों से लग रहा था जैसे या तो उन्हें मामले की पूरी जानकारी नहीं है या वे इससे बचना चाह रहे हैं। यदि खुद मंत्री ही अमले की कमी की बात करे तो मामला समझ से परे हैं। हकीकत यह है कि मुरैना जिले में चंबल रेत का उत्खनन वर्षों से रेत माफिया द्वारा किया जा रहा है और इस बात से कोई नावाकिफ नहीं है। कई आईएएस अफसर इसकी भेंट चढ़ चुके, कई बार पुलिस विभाग के कई अधिकारी घायल हो गए। कई बार खनिज विभाग के अधिकारियों को मौत के मुंह से बचकर निकलना पड़ा। लेकिन पत्रकारों ने जब मंत्री विजय शाह से पूछा कि जिले में अवैध रेत का उत्खनन हो रहा है तो वे बोले कि मुझे जानकारी नही है।अगर कहीं हो रहा है तो इसके बारे अधिकारियों से चर्चा कर वैधानिक कार्यवाही की जाएगी। ऐसा प्रतीत हुआ कि इस परिस्थिति में मंत्रीजी मीडिया के सवालों पर टालमटोल कर रहे हैं। आखिर में सवालों से बचने के लिए वे खड़े होकर चल पड़े। देवरी घड़ियाल पहुंचे विजय शाह पत्रकारों से बात करने के बाद इतने हड़बड़ा गए कि देवी सरस्वती का पूजन करना ही भूल गए। अधिकारियों की बैठक करने के बाद वे सीधे ग्वालियर चले गए। बाद में रिटायर कर्मचारियों ने देवी की पूजा-अर्चना की।