डकैतों के सामूहिक आत्मसर्पण की मनाई स्वर्ण जयंती, सरेंडर बागियों ने सुनाई आपबीती

मुरैना,संजय दीक्षित। मुरैना (Morena) जिले के जोरा (Joura) में डकैतों (dacoits) के सामूहिक आत्मसर्पण की मनाई गई स्वर्ण जयंती, जिसमें सरेंडर हुए बागियों ने आम जनता के सामने आपबीती सुनाई बता दें कि 14 अप्रैल 1972 को मुरैना जिले के जौरा कस्बा स्थित गांधी सेवा आश्रम में 654 डकैतों ने गांधीजी की तस्वीर के सामने हथियार डालकर सरेंडर किया था। बागियों के दुनिया के सबसे बड़े आत्मसर्मण को आज 50 साल पूरे हुए हैं। इस उपलक्ष्य में जौरा के आश्रम में स्वर्ण जयंती समारोह का आयोजन किया गया है।

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Amit Sengar

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मुझे अपने आप पर गर्व है कि में एक पत्रकार हूँ। क्योंकि पत्रकार होना अपने आप में कलाकार, चिंतक, लेखक या जन-हित में काम करने वाले वकील जैसा होता है। पत्रकार कोई कारोबारी, व्यापारी या राजनेता नहीं होता है वह व्यापक जनता की भलाई के सरोकारों से संचालित होता है। वहीं हेनरी ल्यूस ने कहा है कि “मैं जर्नलिस्ट बना ताकि दुनिया के दिल के अधिक करीब रहूं।”