मुरैना : अनुभूति कार्यक्रम में वन विभाग के अधिकारियों की बड़ी लापरवाही आई सामने, कोरोना में बच्चों के बीच दो गज की दूरी को भूले अधिकारी

Amit Sengar
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मुरैना, संजय दीक्षित। जिले में जहां एक तरफ अधिकारियों के द्वारा कोरोना को लेकर रोको टोको अभियान चलाया जा रहा है तो वही देखा गया है कि वन विभाग के अधिकारियों की मनमानी के चलते मासूम बच्चों को बिना किसी सोशल डिस्टेंसिंग के बच्चों को बसों में ठूस ठूस कर घुमाने के लिए ले जाया जा रहा है।

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मुरैना : अनुभूति कार्यक्रम में वन विभाग के अधिकारियों की बड़ी लापरवाही आई सामने, कोरोना में बच्चों के बीच दो गज की दूरी को भूले अधिकारी

बता दें कि मुरैना जिले के जौरा में वन मण्डल के द्वारा जौरा विद्यालय के छात्र/छात्राओं को कोरोना की तीसरी लहर में अनुभूति केम्प का आयोजन किया जा रहा जिसमें दो बस के माध्यम से पगारा बाँध और निरार माता के क्षेत्र का भृमण कराने के लिए ले जाया गया था। जबकि मध्यप्रदेश में कोरोना की तीसरी लहर का आगाह भी कर दिया गया है लेकिन फिर भी वन विभाग के आला अधिकारी लापरवाही दिखाते हुए नजर आ रहे हैं। शायद अब कोरोना संक्रमण को सभी हल्के में लेने लगे है। जौरा कस्बे में निजी स्कूलों की ट्रांसपोर्ट व्यवस्था वायरस संक्रमण का बड़ा कारण बन सकती है। कोरोना की तीसरी लहर के बीच स्कूल खोले गए हैं। सरकार ने छात्रों की सुरक्षा के लिए स्कूलों को खास तरह की गाइडलाइन जारी की है, लेकिन निजी स्कूल के साथ जौरा वन मण्डल के अधिकारी सरकार की हिदायतों का पालन करने में खरे नहीं उतर रहे।

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दरअसल, वायरस संक्रमण का सबसे बड़ा खतरा निजी स्कूलों की ट्रांसपोर्ट व्यवस्था से बना हुआ है। जबकि मुरैना में एक व्यक्ति भी कोरोना के संक्रमण का शिकार भी हो चुका है। स्कूल के छात्र छात्राओं को पगारा बाँध निरारा माता घुमाने के लिए वन विभाग के अधिकारियों ने बसों में छात्रों को ठूस-ठूस कर ले कर गए है, 50% क्षमता से स्कूल के छात्र छात्राओं को ले जा सकते है लेकिन अधिकतर छात्रों को बस में ठूस-ठूस कर लेकर गये हैं और बस में सीटों पर क्षमता से ज्यादा बच्चों को बैठाया गया है। वन विभाग के द्वारा ले जा रहे छात्र छात्राओं के हालात ऐसे हैं कि बच्चों के बीच दो गज की दूरी तो क्या दो इंच की दूरी भी नहीं है हैरानी की बात यह है कि इन वाहनों में बैठे छात्र छात्राओं के साथ नियमों का पालन नहीं करा रहे है वाहनों का रियल्टी चेक पूरी तरह से डरावना और जौरा वन मण्डल के अधिकारियों द्वारा सीधे रूप से कोरोना महामारी को न्यौता देने वाला है। हालांकि शासन व प्रशासन को सरकारी व स्कूलों को कोरोना गाइडलाइंस की अनुपालना के साथ ही स्कूल खोलने व व्यवस्था बनाने के निर्देश दिए हैं लेकिन सरकार के निर्देशों को धत्ता बताते हुए वन विभाग ने बस में बच्चों को ठूसकर ले जाती हुई नजर आई है। इस ओर प्रशासन का कोई ध्यान नही हैं।

मुरैना : अनुभूति कार्यक्रम में वन विभाग के अधिकारियों की बड़ी लापरवाही आई सामने, कोरोना में बच्चों के बीच दो गज की दूरी को भूले अधिकारी

मुरैना कलेक्टर बी. कार्तिकेयन ने कहा कि यह मामला आप के द्वारा मेरे संज्ञान में आया है में मुरैना डीएफओ से बात करता हूं।


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मुझे अपने आप पर गर्व है कि में एक पत्रकार हूँ। क्योंकि पत्रकार होना अपने आप में कलाकार, चिंतक, लेखक या जन-हित में काम करने वाले वकील जैसा होता है। पत्रकार कोई कारोबारी, व्यापारी या राजनेता नहीं होता है वह व्यापक जनता की भलाई के सरोकारों से संचालित होता है।वहीं हेनरी ल्यूस ने कहा है कि “मैं जर्नलिस्ट बना ताकि दुनिया के दिल के अधिक करीब रहूं।”

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