मुरैना, नितेंद्र शर्मा। भारतवर्ष में किसान अन्नदाता माना जाता है, परंतु हिंदुस्तान के गरीब किसान की स्थिति बहुत ही दयनीय है। कभी प्राकृतिक मार झेलना पड़ता है और कभी भिन्न भिन्न परिस्थितियों से उसे गुजरना पड़ता है। मुरैना जिले के गरीब किसानों की हालत भी कुछ इसी प्रकार की है। कुछ इसी प्रकार का मामला आज मुरैना जिले की अम्बाह तहसील में सामने आया है, जहां पूरे साल कड़कती धूप में मेहनत करके खेत में किसान ने फसल उगाई परंतु उस फसल को कोई और ले गया।
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यह मामला है अम्बाह तहसील की ग्राम पंचायत सिकरोदी का जहां बाल्मीकि समाज के गरीब किसानों की सरसों की फसल को प्रशासन ने सिर्फ सरकारी तंत्र का दुरउपयोग करते हुए काट लिया। पूरे मामले पर अगर रोशनी डाली जाए तो बाल्मीकि समाज के 6 परिवारों को वर्ष 2000 मैं दिग्विजय सरकार ने पट्टे प्रदान किए थे। जो जमीन कांग्रेस सरकार की तरफ से वाल्मीकि समाज को दी गई थी, वह पूरी तरीके से बीहड़ थे। जिन्हें समतल कर इन लोगों ने उस पर खेती करना शुरू की।
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इस जमीन पर जातिवाद के चलते कुछ ठाकुरों ने एसडीएम कोर्ट में 2001 में इस पर आपत्ति जताई, परंतु एसडीएम कोर्ट ने बाल्मीकि समाज केस जीत गया। इसके बाद हाईकोर्ट में इन लोगों ने अपील की जिसके चलते हाईकोर्ट ने जिला कलेक्टर को सख्त निर्देश दिए की जब तक दोनों पक्षों मैं से किसी एक पक्ष के हित में फैसला नहीं आ जाता तब तक वाल्मीकि समाज को इन पदों पर खेती करने की इजाजत दी जाए।
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परंतु सरकारी तंत्र का दुरुपयोग करते हुए एसडीएम व तहसीलदार के निर्देशानुसार शासन ने इनके 30 बीघा जमीन पर हार्वेस्टर चला फसल को अपने संग ले गए। ऐसा नहीं है कि सिर्फ बाल्मीकि समाज की 5 हेक्टेयर जमीन ही सरकारी जमीन है इस ग्राम पंचायत में 500 बीघा जमीन सरकारी है। जिससे कि अन्य समाज के लोग खेती कर रहे हैं परंतु इस खेती से प्रशासन को कोई आपत्ति नहीं है।