बाढ़ में फंसे लोगों का हेलीकॉप्टर से किया गया रेस्क्यू, CM शिवराज ने अधिकारियों को दिए कड़े निर्देश

Amit Sengar
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मुरैना,डेस्क रिपोर्ट। मध्य प्रदेश (MP News) में लगातार हुई बारिश के बाद बेतवा, चंबल और पार्वती नदी उफान पर है, जिसके चलते मुरैना (Morena), भिंड (Bhind) और श्योपुर (Sheopur) के 100 से ज्यादा गांव बाढ़ से प्रभावित हुए हैं। साथ ही इन गांव में फंसे लोगों को रेस्क्यू कर बाहर निकाला जा रहा है, और उनको सुरक्षित स्थानों में भेजा जा रहा है। बता दें कि सेना का हेलीकॉप्टर से सबसे पहले मुरैना जिले के सरायछौला थाना क्षेत्र के महूखेड़ा गांव में पहुंचा जहाँ लगभग डेढ़ सैकड़ा ग्रामीण लोग बाढ़ में फंसे हुए थे। इन लोगों को बाढ़ से बाहर निकलकर जिला प्रशासन ने मुरैना टाउन हॉल में शिफ्ट किया है। साथ ही इन लोगों को राहत सामग्री भी बांटी गई, वहीं ग्रामीणों ने बताया कि अगर रात में उन लोगों को डोंगी या हेलीकॉप्टर से शिफ्ट नहीं किया गया तो कई लोग बेमौत मारे जाते।

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बता दें कि मुरैना में चंबल नदी का जलस्तर अभी बढ़ रहा है। मगर आधी रात के बाद जलस्तर में कमी आने की उम्मीद बताई जा रही है लेकिन अभी भी चंबल नदी खतरे के निशान से 8 मीटर ऊपर बह रही है। वहीं भिंड में चंबल अपने डेंजर लेवल 119 मीटर से ऊपर 127.9 मीटर पर बह रही है। इसका जलस्तर शाम तक 128.5 मीटर तक जाने का अनुमान है। इसके 10 गांवों को ज्यादा प्रभावित करने का अनुमान है। यहां पर 4 एसडीआरएफ की टीम बचाव में लगी है। यहां पर बाढ़ में फंसे ग्रामीणों को हेलिकॉप्टर से फूड पैकेट्स उपलब्ध कराए जा रहे हैं।

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गौरतलब है कि मुरैना के चिन्नौनी थाना क्षेत्र के अंतर्गत ग्राम बैधपुरा में एक गर्भवती महिला बाढ़ में फंसी हुई थी। उसको प्रसव पीड़ा से तड़प रही गर्भवती (pregnant woman) को थाना चिन्नोनी के आर. गौरव जाट तथा अर्जुन गुर्जर द्वारा चारपाई पर लिटा कर एसडीआरएफ की बोट से निकलवा कर अस्पताल पहुंचाया गया। वहीं अंबाह क्षेत्र के तीन गांव बाढ़ में घिर गए हैं। चारों तरफ चंबल नदी का पानी ही पानी नजर आ रहा है। इन गांवों में बिजली नहीं है। पीने का पानी का संकट है। घर में बचे राशन और नदी के पानी से ही लोग काम चला रहे हैं। इंद्रजीत का पुरा, रामगढ़ व सुखध्यान का पुरा गांव में करीब 750 लोग फंसे हुए है। तीनों गांव टापू बना गए है। उनका शहरों से संपर्क टूट गया है। पानी का बहाव यहां इतना तेज है कि नाव भी नहीं चल सकती है। इन गांवों के रास्तों पर पानी भर गया है। यहां 500 लोग मौजूद है। लोग गांव नहीं छोड़ना चाहते। उनके मवेशी व चारा घरों में है। लोगों को कहना है कि उनके पास बचा हुआ राशन है। वे भूख से लड़ेंगे।

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सीएम ने चंबल क्षेत्र के तीनों कलेक्टरों को भोजन और पेयजल की व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। जिलों में तीन एयरफोर्स के हेलिकॉप्टर बचाव कार्य में लगे हैं। आपदा दल भी निरंतर कार्य कर रहे हैं। सीएम ने कमिश्नर ग्वालियर से भी बाढ़ राहत कार्यों में समन्वय की जानकारी प्राप्त की।

सीएम ने कहा कि बाढ़ का पानी उतरने के बाद हम दवाईयों को छिड़काव ताकि बीमारी न फैले। शुद्ध पेयजल की आपूर्ति बहाल करना और राहत शिवरों में लगातार सुविधाएं उपलब्ध कराना। जब तक कि घर रहने लायक नहीं हो जाते है। चाय-पानी, भोजन का इंतजाम शिवरों में जारी रहेगा। सीएम ने कहा कि इसके बाद नुकसान का आकलन, मेडिकल चेकअपन के लिए अलग-अलग शिविर लगाना और उसके बाद फिर हम फसलों, घरों और घरों में रखे सामान और जनता को राहत की राशि का वितरण करेंगे।


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मुझे अपने आप पर गर्व है कि में एक पत्रकार हूँ। क्योंकि पत्रकार होना अपने आप में कलाकार, चिंतक, लेखक या जन-हित में काम करने वाले वकील जैसा होता है। पत्रकार कोई कारोबारी, व्यापारी या राजनेता नहीं होता है वह व्यापक जनता की भलाई के सरोकारों से संचालित होता है।वहीं हेनरी ल्यूस ने कहा है कि “मैं जर्नलिस्ट बना ताकि दुनिया के दिल के अधिक करीब रहूं।”

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