MP Famous Market: बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन (Ujjain) को वैसे तो धार्मिक नगरी के नाम से जाना जाता है लेकिन यहां पर और भी कई ऐसी चीजें हैं जिसके चलते शहर को देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी पहचान मिली है। शहर में मिलने वाला हल्दी कुमकुम बहुत प्रसिद्ध है और देश के अन्य शहरों में रहने वाले लोग जब भी उज्जैन आते हैं या फिर उनका कोई रिश्तेदार यहां रहता है तो उससे यह चीजें जरूर मंगाते हैं।
शहर के बहन बेटियां जब ब्याह कर किसी दूसरी जगह चली जाती हैं तो मायके आते समय हल्दी कुमकुम और मेहंदी लेना बिल्कुल नहीं भूलती। कोण का फैशन चल जाने की वजह से पैकेट वाली मेहंदी की मांग इन दिनों कमजोर जरूर हो गई है लेकिन कुमकुम और भगवान को चढ़ाए जाने वाली अष्टगंध, चंदन जैसी अन्य वस्तुओं की आज भी वैसे ही मांग है जैसे सालों पहले हुआ करती थी।
गोपाल मंदिर के बाहर सन 1960 से मेहंदी कुमकुम की दुकानें लग रही है। एक समय पर यहां सिर्फ 8 दुकानें हुआ करती थी लेकिन अब यह आंकड़ा बढ़ चुका है और लगभग 2000 दुकानों पर इन चीजों का कारोबार किया जाता है। मेहंदी कुमकुम की सबसे ज्यादा बिक्री शादी-ब्याह के सीजन में होती है और ऑफ सीजन में यह बिजनेस कम नहीं होता क्योंकि धार्मिक शहर होने के चलते श्रद्धालुओं का तांता यहां 12 महीने लगा रहता है। बाजार की रौनक कभी भी फीकी नहीं पड़ती है बल्कि समय बढ़ने के साथ इसमें इजाफा ही होता है।
यहां वर्षों से कारोबार कर रहे व्यापारियों का कहना है कि पहले जहां चुनिंदा दुकानें हुआ करती थी, वहीं अब यह मार्केट मल्टीपर्पस हो चुका है। इस इलाके में मौजूद पान की दुकान पर भी कुमकुम मेहंदी और अष्टगंध आसानी से उपलब्ध हो जाता है। शहर में इन चीजों का बाजार फैल गया है। पुराने दिनों की अपेक्षा मेहंदी की डिमांड थोड़ी कम हो गई है क्योंकि बाजार में तैयार कोण मिल जाते हैं और समय की कमी होने के चलते महिलाएं इसे लेना ज्यादा पसंद करती हैं। हालांकि, शादी-ब्याह के सीजन में काफी अच्छी डिमांड देखी जाती है और कुमकुम का कारोबार तो कभी भी फीका नहीं पड़ता। लोग चाहते हैं कि उन्हें नकली कुमकुम ना मिले ताकि उनके घर में स्थापित भगवान की प्रतिमाओं को कोई क्षति न पहुंचे। यही वजह है कि खासतौर पर लोग उज्जैन असली और क्वालिटी युक्त कुमकुम खरीदने के लिए आते हैं।
समय के साथ हुआ बदलाव
उज्जैन एक धार्मिक नगरी है इसके चलते इन चीजों का प्रचलन यहां पर ज्यादा भी है। जो भी पर्यटक महाकाल दर्शन या फिर उज्जैन दर्शन के लिए पहुंचते हैं वह गोपाल मंदिर स्थित इस मार्केट में जरूर जाते हैं और यहां से खरीदारी करते हैं। पहले जहां सिर्फ कुमकुम मेहंदी का व्यवसाय किया जाता था वहीं अब समय बदलने के साथ अन्य चीजों की डिमांड भी यहां पर होने लगी है। इसी को देखते हुए व्यापारी अब भगवान की पोशाक, चंदन, अगरबत्ती, मालाएं और पूजन से जुड़ी अन्य सामग्री भी रखने लगे हैं।
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Diksha Bhanupriy
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