जबलपुर, संदीप कुमार। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट (High Court) में अन्य राज्यों की तुलना में मध्यप्रदेश में कोरोना (Corona) उपचार की महंगाई को लेकर याचिका दायर की गई है। दरअसल मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में एक कोर्ट मित्र ने अपनी रिपोर्ट पेश करते हुए बताया गया कि अन्य प्रदेशों की तुलना में मध्यप्रदेश में कोरोना उपचार के रेट 25 से 50 प्रतिशत तक ज्यादा है जिस पर हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक और जस्टिस वी.के शुक्ला की युगलपीठ ने कोरोना उपचार के रेट निर्धारित करने के लिए प्रदेश सरकार को संयुक्त कमेटी बनाने के निर्देश दिये हैं। कमेटी में शासकीय प्रधिकारियों के अलावा महाधिवक्ता तथा कोर्ट मित्र सदस्य रहेंगे। वहीं याचिका पर अब अगली सुनवाई 10 अगस्त को नियत की गई है।
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कोरोना संबंधित संज्ञान तथा अन्य याचिकाओं की सुनवाई के दौरान कोर्ट मित्र ने पूर्व में पारित आदेश का परिपालन करते हुए प्रदेश के महानगरों तथा अन्य शहरों में निर्धारित कोरोना उपचार रेट की सूची पेश की गई, जिस पर बताया गया कि जो रेट महानगर के मल्टी स्पेशलिस्ट अस्पताल के हैं वही रेट आदिवासी बाहुल्य तथा पिछड़े जिलों के छोटे अस्पताल भी वसूल रहें हैं।
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अन्य राज्यों का दिया हवाला
कोर्ट मित्र द्वारा राजस्थान, छत्तीसगढ़, केरल आदि राज्य में लागू कोरोना उपचार रेट की जानकारी भी प्रस्तुत की गयी। उन्होंने बताया कि अन्य राज्यों में मध्यप्रदेश की तुलना में कोरोना उपचार के रेट 25 से 50 प्रतिशत तक कम हैं। सरकार की तरफ से वैक्सीनेशन के संबंध में बताया गया कि हमारा लक्ष्य प्रतिमाह डेढ़ करोड व्यक्ति को वैक्सीनेट करना है। तय लक्ष्य के अनुसार सितम्बर माह तक प्रदेश के सभी व्यक्तियों के वैक्सीनेशन का लक्ष्य निर्धारित किया था, पर वर्तमान में वैक्सीन की प्रर्याप्त उपलब्धता के कारण लगभग 50 प्रतिशत लक्ष्य ही पूर्ण कर पाये हैं।
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याचिका की सुनवाई के बाद युगलपीठ ने अपने आदेश में कहा कि कोरोना उपचार के रेट निर्धारण के लिए प्रदेश सरकार एक संयुक्त कमेटी गठित करे, जिससे सरकारी प्राधिकारियों के अलावा महाधिवक्ता तथा कोर्ट मित्र को रखा जाये। युगलपीठ ने केन्द्र सरकार को निर्देशित किया कि वह वैक्सीन उपलब्ध करवाने में सहयोग प्रदान करें।