Lok Sabha Elections 2024 : पूर्व मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश आरोप लगाया है कि बीजेपी और संघ की मंशा संविधान बदलने की है। उन्होंने 30 नवंबर, 1949 को आरएसएस की पत्रिका ऑर्गनाइज़र में लिखे गए एक लेख का उद्धरण देते हुए कहा कि भाजपा और आरएसएस के कई बड़े नेता शुरु से ही संविधान के मूल सिद्धांतों के विरोधी रहे हैं।
आरएसएस की पत्रिका ऑर्गनाइज़र के लेख का उद्धरण दिया
जयराम रमेश ने कहा कि बीजेपी के के ‘400 पार’ का असली मकसद यह है कि उन्हें संविधान बदलने का अधिकार मिले। संविधान बदलने की बात BJP के सांसद, नेता कहते रहे हैं। ये पहली बार नहीं है, जब BJP-RSS की ओर से ‘संविधान बदलो’ का नारा आया है। साल 1949 से RSS की मांग रही है कि बाबा साहेब आंबेडकर के संविधान को बदला जाए। उन्होंने कहा कि 30 नवंबर, 1949 को RSS की पत्रिका ऑर्गनाइज़र में एक लेख लिखा गया। ऑर्गनाइज़र के लेख और संविधान के बारे में RSS के क्या विचार रहे हैं इसे उन्होंने उद्धृत लेख से पढ़कर सुनाया। इसमें लिखा है कि ‘हमारे संविधान में प्राचीन भारत के अद्वितीय संवैधानिक विकास का कोई उल्लेख नहीं है। ‘मनु’ के क़ानून बहुत पहले लिखे गए थे। आज तक मनुस्मृति में बताए गए उनके क़ानून दुनिया में प्रशंसा पाते हैं लेकिन हमारे संवैधानिक पंडितों के लिए उसका कोई मतलब नहीं है।’
‘बीजेपी चाहती है संविधान बदलने का अधिकार’
उन्होंने कहा कि ये आरएसएस की टिप्पणी रही है और बाबा साहेब अंबेडकर को निशाना बनाया गया है। बाद में 1960 के दशक में भाजपा के बड़े नेता दीनदयाल उपाध्याय जी ने इस संविधान की कड़ी आलोचना की। 1965 में उनकी एक किताब छपी जिसमें उन्होंने शुरुआत में ही लिखा कि संविधान का पहला अनुच्छेद जो कहता है ‘भारत अर्थात् इंडिया राज्यों का संघ होगा, हम इसके ख़िलाफ़ हैं।’ जयराम रमेश ने कहा कि पहले अनुच्छेद से ही दीनदयाल उपाध्याय ने संविधान को स्वीकार करने में आपत्ति जताई है। वो मानकर चलते थे कि राज्यों की कोई भूमिका नहीं है, हमारे देश में सिर्फ़ संघ की भूमिका होनी चाहिए। हालाँकि संघ मतलब यूनियन होता है लेकिन आज साफ़ हो गया है कि संघ की भूमिका मतलब राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघकी भूमिका..यूनियन ऑफ इंडिया की नहीं। इसीलिए राहुल गांधी बार बार अपने भाषणों में संविधान की किताब दिखाते हैं और बताते हैं कि बीजेपी का यही संदेश है कि 400 पार के पीछे राज़ ये है कि वो संविधान बदलने का अधिकार चाहते हैं। उन्होंने कहा कि बीजेपी संविधान के मूल सिद्धांतों के ख़िलाफ़ है।
श्रमिक दिवस पर दोहराई कांग्रेस की श्रमिक न्याय की गारंटी
इसी के साथ 1 मई अंतरराष्ट्रीय श्रमिक दिवस पर उन्होंने कहा कि मैं फिर से ‘श्रमिक न्याय’ की 5 गारंटी बताना चाहता हूं, जो हमने अपने ‘न्याय पत्र’ में दी है। ये हैं..श्रम का सम्मान – दैनिक मजदूरी कम से कम 400 रुपए, मनरेगा में भी लागू। सबको स्वास्थ्य अधिकार – 25 लाख रुपए का हेल्थ-कवर: मुफ़्त इलाज़, अस्पताल, डॉक्टर, दवा, टेस्ट, सर्जरी। शहरी रोजगार गारंटी शहरों के लिए भी मनरेगा जैसी नई योजना। सामाजिक सुरक्षा – असंगठित मजदूरों के लिए जीवन और दुर्घटना बीमा। सुरक्षित रोजगार – मुख्य सरकारी कार्यों में कांट्रैक्ट सिस्टम मजदूरी बंद। उन्होंने कहा कि पिछले 10 साल श्रमिकों के लिए ‘अन्याय काल’ रहे हैं। अगर आप सरकारी आंकड़ें देखें तो साल 2014-2023 के बीच में श्रमिकों की वास्तविक मजदूरी स्थिर हो गई है। खासकर, मोदी जी के दूसरे कार्यकाल में वास्तविक मजदूरी में गिरावट आई है। वहीं, डॉ. मनमोहन सिंह जी के कार्यकाल (2004-2014) में खेत मजदूरों की वास्तविक मजदूरी दर में हर साल 6.8% की वृद्धि हुई थी। लेकिन पिछले 10 साल में खेत मजदूरी की मजदूरी दर हर साल 1.8% गिरी है। यह श्रमिकों पर भारी अन्याय है। इसलिए ‘श्रमिक न्याय’ को लेकर हमने जो 5 गारंटियां दीं है, वह विशेष महत्व रखती है।
30 नवंबर, 1949 को RSS की पत्रिका ऑर्गनाइज़र में एक लेख लिखा गया।
ऑर्गनाइज़र के लेख और संविधान के बारे में RSS के क्या विचार रहे हैं, इस बारे में विस्तार से जानकारी दे रहे हैं @Jairam_Ramesh जी, सुनिए.. 👇 pic.twitter.com/cYzcq7fshV
— Congress (@INCIndia) May 1, 2024