मध्य प्रदेश में कब से पड़ेगी कड़ाके की ठंड? फिर छाएंगे बादल या होगी बूंदाबांदी? पढ़िए मौसम विभाग का पूर्वानुमान

खास करके 32 शहरों में रात का तापमान 20 डिग्री सेल्सियस से कम दर्ज किया जा रहा है। अगले कुछ दिनों तक प्रदेश के ज़्यादातर जिलों में मौसम शुष्क बना रहेगा। नवंबर के दूसरे सप्ताह में शहरों का अधिकतम तापमान 29-30 डिसे तो न्यूनतम तापमान 15 से 19 डिग्री के बीच हो सकता है।

Pooja Khodani
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MP Weather Update Today : मध्य प्रदेश के मौसम में अब बदलाव देखने को मिल रहा है।  उत्तरी हवाओं के चलने से दिन और रात में ठंडक का अहसास हो रहा है। अगले 24 घंटे में तापमान में कमी आने की उम्मीद है। 10 नवंबर से ठंड का असर तेज हो सकता है। इसके बाद 15 नवंबर से राजधानी भोपाल समेत प्रदेश के अधिकांश जिलों में कड़ाके की ठंड देखने को मिल सकती है।

एमपी मौसम विभाग की मानें तो  वर्तमान में कोई मजबूत सिस्टम एक्टिव नहीं है, जिसके चलते मौसम भी शुष्क बना हुआ है। नवंबर के दूसरे सप्ताह में शहरों का अधिकतम तापमान 29-30 डिसे तो न्यूनतम तापमान 15 से 19 डिग्री के बीच हो सकता है। राजधानी भोपाल, जबलपुर, इंदौर व ग्वालियर में अगले 3-4 दिनों तक अधिकतम तापमान 31-32 व न्यूनतम तापमान 18-19 डिसे के बीच आ सकता है।आमतौर पर नवंबर में दिन का तापमान 30 डिसे तो रात का तापमान 15 डिसे से कम हो जाता है।

सबसे ठंडा पचमढ़ी, 32 शहरों में पारा नीचे

एमपी मौसम विभाग के मुताबिक, नवंबर से हिल स्टेशन पचमढ़ी में सबसे ज़्यादा ठंड पड़ रही है। यहां न्यूनतम तापमान 12 से 13 डिग्री सेल्सियस के बीच बना हुआ है। वही मंडला, रीवा, मलाजखंड, उमरिया, राजगढ़, बैतूल और उमरिया में भी न्यूनतम तापमान में गिरावट दर्ज की जा रही है। खास करके 32 शहरों में रात का तापमान 20 डिग्री सेल्सियस से कम दर्ज किया जा रहा है। अगले कुछ दिनों तक प्रदेश के ज़्यादातर जिलों में मौसम शुष्क बना रहेगा। दिन में हवाएं पूर्व और दक्षिण-पूर्व चल रही है, लेकिन शाम में हवाओं का रुख उत्तरी होने से हल्की ठंडक का अहसास होने लगा है।

छा सकते है बादल

एमपी मौसम विभाग की मानें तो नवंबर में नया सिस्टम एक्टिव हुआ तो  बादल छा सकते है। नवंबर महीने में अरब सागर, बंगाल की खाड़ी में बनने वाले साइक्लोनिक सर्कुलेशन और लो प्रेशर एरिया के कारण कुछ जगहों पर हल्के बादल छाए रह सकते हैं और बूंदाबांदी की स्थिति भी बन सकती है। आमतौर पर पूरे नवंबर में मध्यप्रदेश में औसत बारिश केवल आधा इंच ही होती है।


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खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। "कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ। खबरों के छपने का आधार भी हूँ।। मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ। इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।। दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)

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