नक्सलियों ने कराया धमक का अहसास, सड़क निर्माण में लगे रोड रोलर को लगाई आग

Atul Saxena
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बालाघाट, सुनील कोरे। नक्सलियों की गतिविधियों पर रोक लगाने के लिए सरकार जितनी कोशिश कर रही है नक्सली भी जंगलों में अपनी उपस्थिति दर्ज करा सरकार को जवाब  दे रहे हैं। नक्सल प्रभावित जिले बालाघाट  के जंगलों में पिछले महीने 13 नवम्बर को अलसुबह दो युवकों संतोष यादव और जगदीश पतले की गोली मारकर हत्या करने के बाद अब नक्सलियों ने सड़क निर्माण में लगे रोड रोलर को जला दिया और पर्चे चिपकाकर 10 दिसंबर को महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में बंद को सफल बनाने की अपील की है।

बालाघाट के जंगलों में जिस तरह से एक महीने के अंतराल में नक्सलियों ने अपनी उपस्थिति का अहसास कराया है, उससे बालाघाट पुलिस के न केवल होश फाख्ता हो गये है बल्कि चिंता भी बढ़ा दी है। नक्सली घटनाओं के बाद पुलिस जिले में अलर्ट तो है लेकिन एक के बाद एक नक्सली गतिविधियों और पर्चे मिलने से जिले के जंगलों में बढ़ते लाल आतंक को वह रोक नहीं पा रही है। बालाघाट के पास नक्सलियों से निपटने पर्याप्त सुरक्षाबल के साथ ही हालिया दिनों में दो और कंपनी से पुलिस की ताकत तो बढ़ी है लेकिन वह नक्सली गतिविधियों को रोक नहीं पा रही है और नक्सली पर्चे एवं घटनाओं के माध्यम से लगातार अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं ।


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ.... पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....