Neemuch News: 9 दिवसीय कार्यक्रम हुआ संपन्न, जयकारों के साथ भ्रमण पर निकले कुंवारों के देवता बिल्लम बावजी

शनिवार को रंगतेरस पर्व पर वरिष्ठजनों, युवाजनों, व्यापारियों की उपस्थिति में ढ़ोल ढ़माको की थाप पर आस्था के प्रतीक बिल्लम बावजी की विधि विधान जयकारो के बीच प्रतिमा को उठाकर नगर के प्रमुख बाजार में भ्रमण कराया गया।

Neemuch

Neemuch News: मध्य प्रदेश के नीमच जिले की तहसील जावद में आस्था का केंद्र कुंवारो के देवता बिल्लम बावजी को महाआरती के साथ अपने स्थान से उठाया गया। दरअसल, होलिका दहन के 5 दिन बाद रंगपंचमी से रंगतेरस तक 9 दिनों तक भक्तों को दर्शन देने के लिए स्थापना किया गया था। यह धानमंडी में रिद्धि सिद्धि गणपती मंदिर के समीप ढ़ोल ढ़माको की थाप पर मंत्रोच्चार से रंगपंचमी से रंगतेरस तक 9 दिनों के लिए स्थापना की गई थी। इसके बाद रंगतेरस पर्व पर ढ़ोल ढ़माको की थाप पर मुख्य बाजार का भ्रमण कराकर मंदिर परिसर में बिल्लम बावजी देवता को पुनः विराजित किया गया है।

9 दिवसीय कार्यक्रम हुआ संपन्न

नीमच के जावद में भक्तों द्वारा बिल्लम बावजी देवता के जमकर जयघोष लगाए गए। इस दौरान भक्तों ने बिल्लम बावजी देवता अगले वर्ष जल्दी आओ, धानमंडी के बावजी, बिल्लम बावजी आदि जयघोष से 9 दिवसीय कार्यक्रम एतिहासिक रुप से सम्पन्न हुआ। व्यापारी राजेन्द्र बोहरा, प्रवीण सोनी, नारायण सोमानी ने बताया हैं कि 50 से अधिक वर्षो से होलिका दहन के बाद रंगपंचमी को कुंवारो के देवता बिल्लम बावजी को विराजित करने की पुरानी परम्परा के अनुसार तय स्थान पर स्थापना की गई थी। शनिवार को रंगतेरस पर्व पर वरिष्ठजनों, युवाजनों, व्यापारियों की उपस्थिति में ढ़ोल ढ़माको की थाप पर आस्था के प्रतीक बिल्लम बावजी की विधि विधान जयकारों के बीच प्रतिमा को उठाकर नगर के प्रमुख बाजार में भ्रमण कराया गया। इसके बाग मंदिर परिसर पर वापस रखा गया।


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Shashank Baranwal

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पत्रकारिता उन चुनिंदा पेशों में से है जो समाज को सार्थक रूप देने में सक्षम है। पत्रकार जितना ज्यादा अपने काम के प्रति ईमानदार होगा पत्रकारिता उतनी ही ज्यादा प्रखर और प्रभावकारी होगी। पत्रकारिता एक ऐसा क्षेत्र है जिसके जरिये हम मज़लूमों, शोषितों या वो लोग जो हाशिये पर है उनकी आवाज आसानी से उठा सकते हैं। पत्रकार समाज मे उतनी ही अहम भूमिका निभाता है जितना एक साहित्यकार, समाज विचारक। ये तीनों ही पुराने पूर्वाग्रह को तोड़ते हैं और अवचेतन समाज में चेतना जागृत करने का काम करते हैं। मशहूर शायर अकबर इलाहाबादी ने अपने इस शेर में बहुत सही तरीके से पत्रकारिता की भूमिका की बात कही है– खींचो न कमानों को न तलवार निकालो जब तोप मुक़ाबिल हो तो अख़बार निकालो मैं भी एक कलम का सिपाही हूँ और पत्रकारिता से जुड़ा हुआ हूँ। मुझे साहित्य में भी रुचि है । मैं एक समतामूलक समाज बनाने के लिये तत्पर हूँ।