बेखौफ रेत माफिया : राजस्थान से रेत लाकर सरकार को लगा रहे राजस्व का चूना, ओवरलोड डंपर खराब कर रहे सड़कें

नीमच, कमलेश सारडा । मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रदेश के सभी जिला कलेक्टर व एसपी को रेत (Sand), अवैध खनन तथा भू-माफिया का सिंडिकेट खत्म करने के आदेश दिए थे। मंदसौर, रतलाम जिले में माफिया पर प्रशासन ने कार्रवाई की, लेकिन नीमच (Neemuch News) जिले में एक भी माफिया पर कोई कार्यवाही नहीं हो रही है। जिले भर में तथा जिले के बाहर राजस्थान में नीमच जिले के तस्कर व अन्य गैंग सक्रिय लेकिन एक पर भी कोई बड़ी कार्रवाई नहीं हो सकी, कार्रवाई नहीं होने के कारण यह बेखौफ हो गए।

गौरतलब है कि वर्तमान में शहर में रेत माफिया (Sand Mafia) पूरी तरह सक्रिय है। जिनके इशारे पर राजस्थान के भीलवाड़ा जिले में स्थित बनास नदी से रात में रेत (बालू) का जिले में अवैध परिवहन हो रहा है। रेत माफिया इस खेल में काली कमाई कर प्रति माह करोड़ों रुपए कमा रहे हैं। रॉयल्टी चोरी से राजस्व का नुकसान हो रहा है। फ्री की रेत लाकर 900 रुपए प्रति टन बेच रहे हैं। जिले की सीमा में डंपर पहुंचने पर उन्हें सुरक्षित तरीके से खाली करवाने के लिए रेत माफिया का सिंडिकेट चल रहा है। आरटीओ में 10 चक्के (पहिये) का डंपर 16 टन में पास है। इसमें 35 टन तक बालू लाई जा रही है। 12 चक्के का ट्रॉलर 22 टन पास है उसमें 50 टन से अधिक रेत परिवहन हो रहा है। शहर सहित जिले के जिन मार्गों से इन वाहनों का आवागमन हो रहा वहां की सड़कें ग्यारंटी समय से पहले ही खराब हो रही है।

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बताया जाता है कि एक डंपर पर भीलवाड़ा से नीमच आने-जाने में 20 हजार रुपए खर्च होते हैं। इस पर सीधे 10 से 12 हजार रुपए की कमाई हो रही है। प्रशासन द्वारा रेत का अवैध परिवहन रोकने के लिए कई प्रयास किए इसके बावजूद धड़ल्ले से शहर में ओवरलोड डंपर व ट्रेलर नीमच पहुंचते हैं। शहर में बालू रेत का भंडारण का लाइसेंस नहीं होने के बावजूद कई जगह सड़क किनारे सुबह के समय रेत के डंपर खाली हो रहे हैं। खनिज विभाग द्वारा समय-समय पर इनके खिलाफ कारवाई की जाती है। राजनीतिक संरक्षण के चलते रेत माफिया बेखौफ होकर रेत का अवैध परिवहन कर रहे हैं। सभी डंपर व टेलर जावद विधानसभा क्षेत्र के गांवों से होकर आते हैं। राजस्थान से जिले की सीमा में आने के बाद रेत माफिया कारों से इनकी पायलेटिंग करके शहर में लाते हैं। राजस्थान में चित्तौड़गढ़ जिले में टोल देना होता है। इसके बाद गांवों के रास्तों से होकर नीमच आते हैं।

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इन रास्तों से आते हैं रेत के अवैध डंपर

रूट 1. भीलवाड़ा से चित्तौड़गढ़, निंबाहेड़ा होकर जिले में दारू, मरजीवी, नयागांव हाइवे पर होकर नीमच आते हैं।

रूट 2. निबाहेड़ा से तुंबा, अठाना, जावद, सुवाखेड़ा होकर जावद फंटा, कनावटी कलेक्ट्रेट चौराहा होकर आते हैं। रूट 3. भीलवाड़ा, चित्तौड़गढ़- कोटा हाइवे, कास्य चौकी, तिलस्वा घाट, सिंगोली, रतनगढ़, मोरवन।

इस तरह समझें एक डंपर व ट्रेलर पर खर्च व बचत

रेत डंपर के ड्राइवर ने बताया कि भीलवाड़ा से नीमच आने-जाने पर 12 हजार रुपए डीजल खर्च, टोल व अन्य बंदी 2 हजार रुपए, ड्राइवर व खल्लासी के 1500 रुपए, बनास नदी से पोकलेन द्वारा रेत भराई 4 हजार रुपए। इस तरह एक बार में सिर्फ 19,500 रुपए खर्च होते हैं। 460 रुपए प्रति टन रॉयल्टी चोरी की जाती है। नीमच में भंडारण स्थल पर खाली करने पर 900 रुपए प्रति टन के हिसाब से बेची जाती हैं।

माफिया की संपत्ति जांचें तो बड़ा खुलासा हो सकता है

शहर में 4 रेत माफिया पूरा सिंडिकेट चला रहे हैं। इसमें निगरानी के लिए जावद, नयागांव, खोर, जावद फंदा, हाइवे सहित अन्य स्थानों पर इन्होंने युवाओं को तैनात कर रखा है। रेत लेकर आने वाले अवैध डंपरों को लोकेशन देकर निकालते हैं। खनिज विभाग के पास इन चारों रेत माफिया का रिकॉर्ड भी उपलब्ध है। इनके कारोबार व संपत्ति की जांच की जाए तो बालू की काली कमाई से बनाई करोड़ों की संपत्ति का खुलासा हो सकता है। रेत माफिया द्वारा मंदसौर, जावरा जाने वाले डंपरों को शहर के मध्य से निकाला जाता है।सरवानिया महाराज होकर पायलेटिंग गाड़ी के इंतजार में हाइवे पर सड़क किनारे खड़े रेत के डंपर गांवों के रास्ते नीमच आते रेत के ओवरलोड डंपर जिन पर नंबर प्लेट भी नहीं लगी रहती।

सफेदपोश कर रहे हैं इनकी दलाली

जानकारी के मुताबिक जावद क्षेत्र के कुछ सफेदपोश नेता डंपर को निकलवाने के लिए बकायदा अपने लोगों से पायलटिंग करवा रहे हैं तथा प्रति डंपर पैसा लेकर उन्हें अपने क्षेत्र से निकलवाने का जिम्मा ले रखा है जिसमें कुछ जनप्रतिनिधियों के परिवार व उनके समर्थक इस काम को अंजाम दे रहे हैं। बताया जाता है कि एक भाजपा नेता पूरे विधानसभा क्षेत्र अलग-अलग लोगों के माध्यम से पैसा इकट्ठा करवाता है।

खाली डंपर में पूर्व में पकड़ा जा चुका है डोडा चूरा

शहर सहित जिले में बालू रेत खाली करने के बाद डंपर सड़कों पर दौड़ते हुए निकलते हैं। इनकी ऊंचाई इतनी अधिक होती है कि पुलिस भी इन्हें रोककर चैक नहीं करती। पूर्व में मनासा, डीकेन होकर सिंगोली तरफ जा म रहे डंपर से डोडा चूरा बरामद किया गया था। इससे खुलासा हुआ था कि राजस्थान जाने वाले खाली डंपरों में डोडा चूरा का भी परिवहन होता है। इसके बावजूद इन डंपरों की नियमित जांच नहीं होती।

अवैध परिवहन रोकने संयुक्त टीम कार्रवाई करेगी

नीमच कलेक्टर मयंक अग्रवाल ने इस पूरे मामले पर कहा कि राजस्थान से शहर में बालू के अवैध परिवहन की शिकायत लगातार मिल रही है। रेत माफिया पर शिकंजा कसने के लिए जल्द ही प्रशासन की संयुक्त टीम गठित की जाएगी। जिन रास्तों से अवैध डंपर आ रहे हैं उन मार्गों पर निगरानी कर कार्रवाई करेगी। रॉयल्टी चोरी कर राजस्व को नुकसान पहुंचाने वालों पर सख्त कार्रवाई करेंगे।


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Atul Saxena

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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ.... पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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