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Thu, Dec 18, 2025

विकास की बाट जोह रहे नीमच की सिंगोली तहसील के गांव, जीवन की अंतिम यात्रा भी मुश्किल भरी, पढ़ें खबर

Written by:Atul Saxena
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आजादी के 77 साल बाद भी ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोग बुनियादी सुविधाओं के लिए जूझ रहे हैं.. नेता इनसे बड़े बड़े वादे कर वोट ले जाते हैं लेकिन फिर पलटकर नहीं देखते कि इनकी जिंदगी में कितनी परेशानी है, ये जनता के भरोसे के साथ खिलवाड़ है
विकास की बाट जोह रहे नीमच की सिंगोली तहसील के गांव, जीवन की अंतिम यात्रा भी मुश्किल भरी, पढ़ें खबर

चुनावों में बड़े बड़े वादे….नेताओं को जनता को भरोसा… सरकारी अफसरों की बड़ी बड़ी प्लानिंग… ये आज भारत में रहने वाले नागरिक के जीवन का हिस्सा बन चुका है लेकिन इसकी हकीकत बहुत अलग है,  आज हम आपको मध्य प्रदेश के नीमच जिले के सिंगोली तहसील की एक ऐसी तस्वीर दिखाएंगे, जो आजादी के 77 साल बाद भी विकास की खोखली हकीकत को बयां करती है। इस तहसील के गांवों में रहने वाले ग्रामीण सामान्य दिनों में तो परेशानी उठाये ही है लेकिन उनके परिजन की मृत्यु के बाद उसकी अंतिम यात्रा भी कष्टों से भरी होती है।

जी हाँ, हम बात कर रहे हैं नीमच जिले की सिंगोली तहसील के जाट और झोपड़ियां गांव की, जहां के ग्रामीणों को अपने सबसे मुश्किल समय में भी मूलभूत सुविधाओं के अभाव में जूझना पड़ रहा है। यह रास्ता है जाट गांव के मुक्तिधाम का। आप देख सकते हैं कि यहां पहुंचने के लिए ग्रामीणों को दो बड़े बरसाती नालों को पार करना पड़ता है। बारिश के मौसम में यह रास्ता पूरी तरह से बंद हो जाता है, और ऐसे में किसी परिजन का अंतिम संस्कार करना ग्रामीणों के लिए एक बड़ी चुनौती बन जाता है। शव यात्रा को इसी कीचड़ भरे और पानी से लबालब रास्ते से होकर ले जाना पड़ता है।

नालों को पार कर पढ़ने जाते हैं बच्चे 

ऐसा ही हाल झोपड़ियां, बरखेड़ा और तरौली गांव को जोड़ने वाली सड़क का भी है। यह सड़क बेहद खस्ताहाल है और इस पर भी कई बरसाती नाले बहते हैं। नन्हे-मुन्ने बच्चे जान जोखिम में डालकर इन नालों को पार कर स्कूल जाने के लिए मजबूर होते हैं। जरा सोचिए, अगर कोई हादसा हो जाए तो इसका जिम्मेदार कौन होगा?

बारिश में अंतिम संस्कार करना भी मुश्किल

ग्रामीण बताते हैं कि हम कई बार शासन-प्रशासन से गुहार लगा चुके हैं। यह रास्ता हमारी रोजमर्रा की जिंदगी का हिस्सा है। बच्चों को स्कूल भेजना हो, या फिर किसी को अस्पताल ले जाना हो, हमें इन्हीं मुश्किलों से जूझना पड़ता है। मुक्तिधाम तक का रास्ता भी ऐसा है कि बारिश में किसी का अंतिम संस्कार करना भी मुश्किल हो जाता है लेकिन हमारी कोई सुनता नहीं है।

ग्रामीणों की मांग जल्द पुलिया, सड़क का निर्माण हो 

ग्रामीणों की मांग है कि यहां जल्द से जल्द पुलिया और सड़क का निर्माण कराया जाए। उनका कहना है कि 77 साल बाद भी ऐसी स्थिति होना शर्मनाक है। ग्रामीणों ने उच्च अधिकारियों से इस समस्या पर तुरंत ध्यान देने की अपील की है।देखना यह होगा कि शासन-प्रशासन इस गंभीर समस्या पर कब तक अपनी आंखें मूंदे रहता है और इन ग्रामीणों को कब तक इस मुश्किल भरी जिंदगी से मुक्ति मिलती है।

नीमच से कमलेश सारड़ा की रिपोर्ट