उप मुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा ने कहा, आपातकाल भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था पर सबसे बड़ा हमला

देवड़ा ने कहा 25 जून, 1975 यह वह काला दिवस है, जब तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने देश पर आपातकाल थोपकर भारतीय संविधान, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता एवं नागरिक अधिकारों का निर्ममता से गला घोंटने का कुत्सित कार्य किया था।

भारतीय जनता पार्टी आज आपातकाल के 50 वर्ष पूर्ण होने पर संविधान हत्या दिवस मना रही है , पूरे देश में कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे हैं, लोकतंत्र सेनानियों का सम्मान किया जा रहा है, इसी क्रम में नीमच में भी कार्यक्रम आयोजित किया गया जिसमें उप मुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा शामिल हुए।

इमरजेंसी भारत के लोकतंत्र का “काला दिवस”

मीडिया से बात करते ही जगदीश देवड़ा ने कहा 25 जून 1975 को लगा आपातकाल भारत के लोकतंत्र का “काला दिवस” है, यह लोकतांत्रिक व्यवस्था पर एक गहरा आघात था। केवल सत्ता में रहने के लिए इंदिरा गांधी ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के निर्णय के बावजूद उसके विरोध में आपातकाल लगाया, इंदिरागांधी ने 25 जून की रात राष्ट्रपति से चुपचाप दस्तखत करवाकर आपातकाल लगा दिया और हजारों लोगों को जेल में डाल दिया।

आपातकाल लगाने का पाप इंदिरा गांधी ने किया 

देवड़ा ने कहा इमरजेंसी लगाने का पाप इंदिरा गांधी ने किया, कांग्रेस ने किया, ये कांग्रेस का चरित्र है और आज भी कांग्रेस का यही चरित्र है इसलिए हम कार्यकर्ताओं के बीच जाकर ये बता रहे हैं कि लोकतंत्र पर कितना बड़ा प्रहार कांग्रेस ने किया था।

इस त्रासदी को देश न कभी भूलेगा, न माफ करेगा

जगदीश देवड़ा ने इस मौके पर श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया और उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। साथ ही पर्यावरण संरक्षण के संकल्प के साथ पौधारोपण भी किया। उन्होंने कहा देश पर थोपी इस त्रासदी को देश न कभी भूलेगा, न माफ करेगा।

नीमच से कमलेश सारड़ा की रिपोर्ट 


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Atul Saxena

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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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