निवाड़ी, आशीष दुबे। जीवन के अंतिम पड़ाव पर अपनों से दूर वृद्धाश्रम (old age home) में अकेला जीवन जी रहे बुजुर्गों के पास जाकर कोई अपनेपन और चाहत भरे दो शब्द बोल दे तो उनके लिए इससे बड़ी दौलत कोई हो नहीं सकती। ओरछा के वृद्धाश्रम में पहुंचकर जब निवाड़ी कलेक्टर तरुण भटनागर (Niwari Collector Tarun Bhatnagar) ने इनका हाल जाना तो इनके चेहरे पर मुस्कान और आंखों में खुशी के आंसू थे। जब डीएम ने उनके बीच बैठकर दोपहर का भोजन किया तो वृद्धों की खुशी का पार न था, कुछ देर तो उन्हें लगा कि उनके बीच कोई अफसर नहीं उनका अपना कोई परिजन है।
निवाड़ी के रामराजा वृद्धाश्रम में पहुंचे निवाड़ी कलेक्टर तरुण भटनागर को देखकर वृद्धजनों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। अपने परिवार और बच्चों से दूर अपना समय वृद्धाश्रम में बिता रहे वृद्धों का हाल जानने के लिए निवाड़ी कलेक्टर उनके बेटे के रूप में यहां पहुंचे थे। यह नजारा मार्मिक था, क्योंकि परेशानियों से घिरे यहाँ रह रहे बुजुर्ग कलेक्टर को अपना बेटा समझकर अपने सुख दुख की और अपनी समस्याएं उन्हें बता रहे थे।
कलेक्टर ने वृद्धों के साथ टेबल पर बैठकर भोजन भी किया और उनसे सुख दुख की बातों के साथ जीवन में आए उतार चढ़ाव की बातें उनसे साझा की। इस दौरान कलेक्टर ने सभी वृद्धों की हौसला अफजाई करते हुए शॉल और फूल माला से उनका स्वागत किया और उनका आशीर्वाद लिया। मुलाकात के दौरान एक वृद्धा ने कलेक्टर को खुश रहने का आशीर्वाद दिया और उनकी खूब प्रशंसा भी की।
जब उनसे सवाल पूछा कि कलेक्टर ने आपसे सुख दुख की चर्चा की तो आपने क्या कहा, तब वृद्धा ने कहा कि अब सब खत्म ही हो गया तो क्या कहे। वृद्धाश्रम में 22 साल बिता चुकी एक सुंदरबाई नाम की वृद्धा ने कहा कि इससे पहले कोई कलेक्टर हमारे यहां पर हमारा हाल जानने नहीं आए। निवाड़ी कलेक्टर की तारीफ करते हुए उन्होंने कहा कि हमें यह बताते हुए बेहद खुशी हो रही है कि हमारे साथ ऐसे अधिकारी है जो हमारी इतनी चिंता करते है।
चर्चा में निवाड़ी कलेक्टर तरुण भटनागर ने बताया कि रामराजा वृद्धाश्रम में 25 वृद्ध निवासरत है। उन्होंने कहा कि आज उनसे मुलाकात कर उनकी परेशानियों को जाना। उन्होंने कहा कि यहां पर एक भवन बनना है उसका कंस्ट्रक्शन हो गया है और अभी वहां पर बिजली फिटिंग का काम चल रही है। उनका कहना है कि इस भवन के बनने के बाद इस वृद्धाश्रम की क्षमता 50 लोगों की हो जाएगी। उन्होंने कहा कि वृद्धाश्रम में निवास कर रहे दो वृद्धों ने उन्हें पेंशन की समस्या बताई है, जिसके समाधान के लिए निर्देश दे दिए गए है। वृद्धों के साथ भोजन करने को अपना सौभाग्य मानते हुए कलेक्टर ने कहा कि भोजन के वक्त बात करने से वृद्धों का मन हल्का हो जाता है और सुख दुख की बातें वह शेयर करते है।
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Atul Saxena
पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....
पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....