Panchkoshi Yatra: बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन में हर साल पंचकोशी यात्रा का आयोजन होता है। 5 कोस की ये यात्रा भक्त पैदल तय करते हैं और महादेव के अलग-अलग मंदिरों में दर्शन कर खुद को धन्य महसूस करते हैं। इस बार आचार संहिता के चलते यह यात्रा 3 मई को शुरू होगी और साथ में एक को खत्म होगी।
यात्रा को देखते हुए प्रशासनिक स्तर पर तैयारियां शुरू हो चुकी है। हर जगह पड़ाव पर सीसीटीवी कैमरा लगाए जाने के साथ फायर ब्रिगेड की व्यवस्था भी की जाएगी। यह यात्रा 118 किलोमीटर की होती है। जिसमें हर 500 मीटर की दूरी पर पेयजल और स्नान के पानी की अलग-अलग व्यवस्था यात्रियों को उपलब्ध करवाई जाएगी।
तैयारी का दौर जारी
पंचकोशी यात्रा को लेकर अलग-अलग विभागों को जिम्मेदारी दे दी गई है। 3 मई से यात्रा शुरू हो जाएगी, जिसे देखते हुए 25 अप्रैल तक सारी तैयारी पूरी करने के निर्देश कलेक्टर की ओर से जारी किए गए हैं। पंचकोशी यात्रा मार्ग को लेकर ऐसे कई काम है जो अब तक पूरे नहीं किए गए हैं।
आज होगा निरीक्षण
यात्रा की शुरुआत पत्नी बाजार स्थित श्री नागचंद्रेश्वर मंदिर से होती है। इसके बाद शहर के विभिन्न मार्गो से होते हुए भक्त इस यात्रा को पूरी करते हैं। आज अधिकारियों की टीम नागनाथ मंदिर से यात्रा मार्ग का निरीक्षण करने वाली है। यात्रियों को किसी भी तरह की असुविधा न हो इसके लिए कलेक्टर द्वारा सभी क्षेत्र के एसडीएम को अपने क्षेत्र में आने वाले पड़ाव स्थलों पर निरीक्षण कर उचित व्यवस्थाएं करने के आदेश दिए गए हैं।
ये हैं पड़ाव
नागचंद्रेश्वर मंदिर से शुरू होकर यह यात्रा पिंगलेश्वर, उंडासा, करोहन, नलवा, अंबोदिया, जैथल और कालियादेह महल तक जाती है। यह 118 किलोमीटर की यात्रा होती है।
अलग-अलग विभागों को जिम्मेदारी
यात्रा में बड़ी संख्या में भक्त पहुंचते हैं। जिन्हें हर पड़ाव पर प्रशासन द्वारा समुचित व्यवस्था उपलब्ध करवाई जाती है। इस बार भी अलग-अलग विभागों को अलग-अलग व्यवस्था करने की जिम्मेदारी सौंप दी गई है। शिक्षा विभाग को बड़ा स्थल के सभी विद्यालय भवनों में पेयजल की व्यवस्था करने के साथ शौचालय में सभी व्यवस्था करने की जिम्मेदारी दी गई है। खाद्य विभाग बाजार भाव से खाद्य सामग्री उपलब्ध करवाने की व्यवस्था करेगा। पुलिस विभाग यात्रा मार्ग-पड़ावस्थलों की सुरक्षा व्यवस्था को संभालेगा। स्वास्थ्य विभाग पर्याप्त दवाई और आपातकालीन चिकित्सा के सुविधा उपलब्ध करवाएगा। यात्रा मार्ग में और पड़ाव स्थलों पर मधुमक्खी के छत्ते हटाने के जिम्मेदारी वन विभाग को सौंपी गई है। इसी तरह से अन्य विभागों को भी अलग-अलग तरह की जिम्मेदारी सौंपी गई है।