Panna News : 31 अक्टूबर को पूरे देशभर में दिवाली का त्योहार बड़े ही धूमधाम से मनाया गया। सुबह से ही सभी के घरों में तैयारियां शुरू हो गई थी। फूलों और रंगोली से घर आंगन सजधज कर तैयार था। वहीं, शाम के समय रंगीन लाइटें देखने में काफी भव्य लग रही थी। लोगों ने तरह-तरह की मिठाइयां बनाई। एक दूसरे के घर जाकर पुराने गिले शिकवे छोड़कर नए रिश्ते की शुरुआत की। आरती के साथ माता लक्ष्मी और भगवान श्री गणेश की पूजा-अर्चना की गई।
मध्य प्रदेश के पन्ना जिले में भी दिवाली तो बड़े ही धूमधाम से मनाया गया, वहीं इसके दूसरे दिन यानी 1 नवंबर को दिवारी नृत्य की धूम देखने को मिली, क्योंकि पन्ना सहित पूरे बुंदेलखंड में दीपावली का त्यौहार बड़े ही परंपरागत तरीके से मनाया जाता है।
दिवारी नृत्य की धूम
दरअसल, यहां श्री प्राणनाथ जी मंदिर, श्री जुगल किशोर मंदिर में पूरे बुंदेलखंड से श्रद्धालु पहुंचते हैं। इस दौरान ग्वाले विशेष वेशभूषा में मोर का पंख लेकर माथा टेकते हैं। साथ ही ढोलक की थाप पर दिवारी नृत्य करते हैं। स्थानीय लोगों के अनुसार, यह परंपरा लगभग 300 साल पुरानी है, जिसे अब तक निभाया जाता है।
300 साल पुरानी परंपरा
दिवाली के दूसरे दिन यहां काफी ज्यादा भीड़ देखने को मिलती है। इसके अलावा लोग तरह-तरह के करतब भी दिखाते हैं। सिर्फ पन्ना से ही नहीं, बल्कि इस नृत्य को देखने के लिए दूर-दराज से लोग पहुंचते हैं। दिवारी नृत्य के समय यहां का नजारा काफी अलग और अद्भुत होता है। बता दें कि दिवाली के दूसरे दिन उत्तर प्रदेश के बांदा जिले से यहां पर ग्वालो की बड़ी संख्या में टोली पहुंचती है। इसके अलावा, मध्य प्रदेश के छतरपुर, दमोह और टीकमगंज जिले से भी ग्वाले मोर का पंख लेकर आते हैं और भगवान का आशीर्वाद लेते हैं।
सुबह से ही शुरू हो जाता है नृत्य
नृत्य का यह सिलसिला सुबह से ही शुरू हो जाता है, जो कि पूरे दिन चलता है। रात में यहां का नजारा काफी अलग ही होता है। श्रद्धालु रात में भी यहां करतब दिखाते हैं। मंदिर लाइट और दीपक से दुल्हन की तरह सजधज कर तैयार रहती है। विधि-विधान से पुजारी द्वारा पूजा-अर्चना भी की जाती है।