राजगढ़, डेस्क रिपोर्ट। मध्य प्रदेश (madhya pradesh) के एक हॉस्पिटल (hospital) में लापरवाही की हद पार कर दी है। लापरवाही से की गई डिलीवरी के दौरान नवजात की मौत हो गई है। इस मामले में पीड़ित ने अस्पताल प्रशासन सहित डॉक्टर, स्टाफ और संचालक के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी। जिस पर अब राजगढ़ कलेक्टर (rajgarh collector) में मामले पर संज्ञान लेते हुए जांच दल गठित किया है। राजगढ़ कलेक्टर ने आदेश जारी करते हुए कहा कि खुजनेर रोज राजगढ़ जिला के अस्पताल में अप्रशिक्षित स्टाफ के द्वारा किए गए। इलाज के अभाव से नवजात बच्चे की मृत्यु हुई है।
जानकारी के मुताबिक इस अस्पताल का रजिस्ट्रेशन, एमसीआई, रजिस्ट्रेशन पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड का रिजल्ट, लैब टेक्नीशियन का पंजीयन इत्यादि नहीं है। साथ ही अस्पताल में विशेषज्ञ भी नहीं है, ऐसी स्थिति में उचित इलाज नहीं दिए जाने के कारण बच्चे की मृत्यु हुई है। वही कलेक्टर ने प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए सीएचएल हॉस्पिटल और ट्रामा सेंटर की जांच के संबंध में 4 सदस्य जांच दल का गठन किया है। जांच दल को निर्देश दिए गए हैं कि 22 मई तक अनिवार्य रूप से अस्पताल की जांच और संचालन कर उचित कार्रवाई की जाए।
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दरअसल राजगढ़ निवासी, कलेक्ट्रेट में स्टेनोटाइपिस्ट अजय नकवाल ने कलेक्टर को लिखे पत्र में अस्पताल प्रशासन पर आरोप लगाए हैं। कलेक्टर को लिखे पत्र में नकवाल ने बताया कि उनकी पत्नी को लेबर पेन के बाद 18 मई को राजगढ़ के सीएचएल हॉस्पिटल और ट्रॉमा सेंटर खुजनेर रोड में भर्ती कराया गया था। नकवाल ने बताया कि 9 महीने तक गर्भ में बच्चा स्वस्थ था। जिसकी अंतिम सोनोग्राफी रिपोर्ट भी सामान्य थी। सब कुछ नॉर्मल होने के बाद भी सीएचएल हॉस्पिटल और ट्रॉमा सेंटर खुजनेर के डॉक्टर की लापरवाही के कारण उनके बच्चे की मृत्यु हुई है। डॉक्टर पर आरोप लगाते हुए पीड़ित ने कहा है कि उस अस्पताल में पत्नी को भर्ती कराया जाने पर भी वहां स्टाफ मौजूद नहीं थे। अस्पताल में मौजूद दाई और साफ-सफाईकर्मी सहित वार्ड बॉय के द्वारा उनकी पत्नी को ले जाया गया।
इस दौरान अस्पताल में सिर्फ एक बेड था नहीं ICU रूम थे और ना ही ओटी रूम। वहीं अस्पताल संचालक पर आरोप लगाते हुए पीड़ित ने कहा कि बच्चे की मृत्यु के उपरांत आनन-फानन में 19 मई को ओटी रूम अस्पताल में बनाया गया है। जहां इस अस्पताल में ना स्टाफ की सुविधा है, ना लैब टेक्नीशियन की। वही अजय नकवाल ने डॉक्टर साहिल पर आरोप लगाते हुए कलेक्टर से मांग की थी कि 2 दिन हो जाने के उपरांत भी उनकी पत्नी की भर्ती और डिस्चार्ज पर्ची तैयार नहीं किए गए। जबकि 20 मई को बच्चे की मृत्यु प्रमाण पत्र और पत्नी के प्रति और डिस्चार्ज पर्ची मांगने पर चार-पांच दिन के बाद आने की बात कही गई है।
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ऐसी स्थिति में एक बार फिर से अस्पताल में लापरवाही की खबर सामने आई है। इससे पहले भी एक बच्चे की मृत्यु पर परिजनों द्वारा हंगामा किया जा चुका है। पीड़ित अजय नकवाल ने कलेक्टर से मांग की थी कि अस्पताल प्रबंधन द्वारा बच्चों को मारा जा रहा है जो अति गंभीर विषय है। अजय नकवाल द्वारा सीएचएल हॉस्पिटल और ट्रॉमा सेंटर सहित इनके डॉक्टर साहिल, डॉक्टर विनोद सहित अन्य स्टाफ पर हत्या का मुकदमा दर्ज कराए जाने की मांग की गई थी।