राजगढ़।
मध्य प्रदेश की राजगढ़ लोकसभा सीट वीआईपी सीटों में से एक है। यह क्षेत्र कांग्रेस के दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह के दबदबे वाला क्षेत्र है, दिग्विजय खुद 2 बार यहां से सांसद चुने जा चुके हैं तो वहीं उनके भाई लक्ष्मण सिंह 5 बार इस सीट से जीतकर संसद पहुंच चुके हैं, बावजूद इसके इस सीट पर वर्तमान में बीजेपी का कब्जा है। इस बार जीत के लिए कांग्रेस ने मोना सुस्तानी जो कि पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह समर्थक और कांग्रेस नेता की बहू हैं, को मैदान में उतारा है। वही पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के चहेते वर्तमान सांसद रोडमल नागर को दोबारा मौका दिया है।
एक तरफ भोपाल के साथ दिग्विजय राजगढ़ की कमान संभाले हुए है वही दूसरी शिवराज भी जीत के लिए मैदान में डटे है।ऐसे में कहा जा रहा है कि इस बार मुकाबला कांग्रेस-बीजेपी के बीच नही बल्कि दो पूर्व मुख्यमंत्रियों के बीच है, दोनों की साख दांव पर लगी हुई है। दिग्विजय को अपना बरसों पुराना गढ़ बचाना है तो शिवराज को यह सीट दोबारा जीतनी है। इस बार मुकाबला रोचक इसलिए भी हो गया है क्योंकि दोनों प्रत्याशी किरार-धाकड़ समाज से है।जहां नागर किरार-धाकड़ समाज का प्रतिनिधित्व करते हैं। कांग्रेस उम्मीदवार मोना सुस्तानी भी इसी वर्ग से जुड़ी हैं।
मोना स्थानीय स्तर पर चर्चित चेहरा हैं। मोना ज़िला कांग्रेस की कार्यकारी अध्यक्ष होने के साथ ही तीन बार से लगातार जिला पंचायत सदस्य हैं। वो जनपद सदस्य भी रह चुकी हैं। वो कई सामाजिक धर्मिक संगठनों की सदस्य होने के साथ किरार धाकड़ समाज की महिला विंग की राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। इस वजह से समाज में उनकी काफी पकड़ है। मोना सुस्तानी पूर्व विधायक गुलाब सिंह सुस्तानी की भी बहू हैं, वो जिला कांग्रेस के अध्यक्ष , एमपी एग्रो के चेयरमैन, होने के साथ दो बार राजगढ़ विधायक भी रह चुके है।ऐसे में इस बार नागर की जीत बीजेपी के लिए चुनौती बनी हुई है, हालांकि शिवराज भी कमजोर पड़ रहे जीरापुर बेल्ट, चाचौड़ा पर अपना पूरा फोकस किए हुए, लगातार सभाएं कर रहे है।वही भितघातियों और बागियों को भी मनाने की कोशिश जारी है, हालांकि काफी हद तक डैमेज कंट्रोल में बीजेपी कामयाब हुई है। हाल ही में राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह भी राजगढ़ पहुंचे। वही विधानसभा में भी बीजेपी दो सीटों पर मजबूत हुई, हालांकि पांच पर कांग्रेस का दबदबा रहा। यहां से कांग्रेस के दो मंत्री और तीन विधायक मौजूदा सरकार में है।वही स्थानीय मुद्दे भी दावी हो सकते है।