संविदा स्वास्थ्यकर्मियों की हड़ताल 17वें दिन भी जारी, गोबर और घास-भूसा खाकर जताया विरोध

Samvida health Employees strike : संविदा स्वास्थ्यकर्मियों की हड़ताल 17वें दिन भी जारी है। शनिवार को राजगढ़ में इन्होने खिलचीपुर नाका स्थित अपने पंडाल में पत्तल पर घास, गोबर और पत्ती रखकर सांकेतिक रूप से खाते हुए विरोध दर्ज कराया। इन कर्मचारियों का कहना है कि सरकार हमें जितना वेतन दे रही हैं उसमें हम आधा पेट भोजन ही कर पाते हैं। इसके बाद हमें इन चीजों को खाकर ही अपना पेट भरना पड़ेगा। संविदाकर्मियों ने कहा कि हमारी व्यथा यह है कि विभाग में उन्हीं के पदों पर कार्यरत नियमित कर्मचारियों के समान कार्य समान वेतन भी हमें नहीं मिल पा रहा है।

संविदा कर्मचारी संघ के जिलाध्यक्ष सुधेन्दु श्रीवास्तव ने कहा कि हड़ताल के चलते स्वास्थ्य संबंधी कार्य प्रभावित हो रहें हैं, लेकिन शासन प्रशासन को यह सब दिखाई नहीं दे रहा है। अभी कुछ दिनों पहले सीएमएचओ आफिस से एक पत्र जारी करते हुए संविदा कर्मचारियों का चार्ज नियमित कर्मचारियों को दे दिया गया। लेकिन बिना प्रशिक्षण और सॉफ्टवेयर के ज्ञान के बिना वह भी कोई कार्य नहीं कर पा रहे हैं। इसके अलावा ग्रामीण टीकाकरण, गर्भवती महिलाओं की जांच, आशा कार्यकर्ताओं का भुगतान, जेएसवाय, पीएसवाय भुगतान आदि पूरी तरह से प्रभावित हो रहे हैं। वहीं प्रति माह 5 तरीख से पहले भारत शासन को भेजी जाने वाली रिपोर्टे भी समय पर नहीं पहुंच सकेगी। इन सब के बावजूद शासन प्रशासन मूक दर्शक बने हुए जनता की परेशानी देख रहा है और हमारी जायज मांगों को पूरी करने की दिशा में अभी तक कोई कदम नहीं उठाया गया है।

बता दें कि इनकी दो प्रमुख मांगों में पहली है सभी कर्मचारियों का नियमितीकरण और दूसरी मांग है कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन से हटाकर आउटसोर्स किए गए सपोर्ट स्टाफ एवं निष्कासित कर्मचारियों को तत्काल बहाल किया जाए। इन्होने कहा है कि जब तक ये दोनों मांगें प्रमुख रूप से नहीं मानी जाएंगे, अनिश्चितकालीन हड़ताल जारी रहेगी और इस बीच जो भी सेवाएं प्रभावित होंगी उसकी जिम्मेदारी शासन प्रशासन की होगी।

 


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श्रुति कुशवाहा

श्रुति कुशवाहा

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।

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