सरस्वती वंदना के विरोध पर बोले भाजपा विधायक रामेश्वर शर्मा, “अक्ल के दुश्मन मां सरस्वती की पूजा कैसे करेंगे”

Protest for Surya Namaskar: भाजपा विधायक रामेश्वर शर्मा ने जमीयत उलेमा-ए-हिंद के प्रस्ताव पर प्रतिक्रिया व्यक्त की है। उन्होंने कहा, "जो अक्ल के दुश्मन हैं, वे मां सरस्वती की पूजा कैसे कर सकते हैं।

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Protest for Surya Namaskar: कभी आधुनिक शिक्षा का समर्थन करने वाला जमीयत उलेमा-ए-हिंद अब स्कूलों और शिक्षण संस्थानों में सूर्य नमस्कार और सरस्वती वंदना जैसी गतिविधियों के खिलाफ खड़ा हो गया है। मुस्लिम धर्मगुरु सुफियान निजामी ने एक बयान जारी कर मुस्लिमों से आग्रह किया है कि वे अपने बच्चों और छात्रों को सूर्य नमस्कार या इसी प्रकार की गतिविधियों में भाग न लेने दें।

भाजपा विधायक रामेश्वर शर्मा की प्रतिक्रिया

भाजपा विधायक रामेश्वर शर्मा ने जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अधिवेशन में पारित उस प्रस्ताव पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है, जिसमें मुस्लिम छात्रों से सरस्वती वंदना और सूर्य नमस्कार का विरोध करने की अपील की गई थी। उन्होंने कहा, “जो अक्ल के दुश्मन हैं, वे मां सरस्वती की पूजा कैसे कर सकते हैं।” शर्मा ने जोर देकर कहा कि भारत की धरती पर पैदा हुए सभी लोगों को मां सरस्वती की पूजा करनी चाहिए, क्योंकि यह हमारी संस्कृति और सभ्यता का हिस्सा है। उन्होंने यह भी कहा कि अच्छी संस्कृति और सभ्यता के लिए सरस्वती वंदना महत्वपूर्ण है।

मौलाना सुफियान निजामी का बयान

जमीयत उलेमा-ए-हिंद के मुस्लिम धर्मगुरु सुफियान निजामी ने कहा कि हिंदुस्तान का संविधान सभी को अपने धर्म का पालन करने की आजादी देता है। इस्लाम हमें सिखाता है कि हम केवल अल्लाह की इबादत करें और किसी अन्य को शरीक न करें। जमीयत उलेमा-ए-हिंद का यह कहना सही है कि मुसलमान अपने बच्चों और छात्रों को सूर्य नमस्कार या किसी अन्य इबादत में शामिल न होने दें। यह बात पहले भी कई मौलवी कह चुके हैं। इस्लाम की शिक्षा में यह स्पष्ट है कि अल्लाह के साथ किसी को शरीक न करें और किसी अन्य की इबादत न करें। हम सभी मुसलमानों से गुजारिश करते हैं कि इस पर अमल करें।

विरोध का कारण

जमीयत उलेमा-ए-हिंद का मानना ​​है कि स्कूलों में सरस्वती वंदना, धार्मिक गीत और सूर्य नमस्कार जैसी गतिविधियां अधार्मिक हैं और मुस्लिम छात्रों के धार्मिक विश्वासों के खिलाफ हैं। संगठन का कहना है कि ये गतिविधियां हिंदू धर्म को बढ़ावा देती हैं और मुस्लिम छात्रों को उनकी संस्कृति से दूर करती हैं।

जमीयत की मांग

जमीयत ने इन गतिविधियों को स्कूलों से पूरी तरह से हटाने की मांग की है। संगठन का कहना है कि सरकारी स्कूलों में धार्मिक शिक्षा नहीं दी जानी चाहिए और सभी छात्रों के लिए धर्मनिरपेक्ष शिक्षा सुनिश्चित की जानी चाहिए।

 

 


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भावना चौबे

भावना चौबे

इस रंगीन दुनिया में खबरों का अपना अलग ही रंग होता है। यह रंग इतना चमकदार होता है कि सभी की आंखें खोल देता है। यह कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि कलम में बहुत ताकत होती है। इसी ताकत को बरकरार रखने के लिए मैं हर रोज पत्रकारिता के नए-नए पहलुओं को समझती और सीखती हूं। मैंने श्री वैष्णव इंस्टिट्यूट ऑफ़ जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन इंदौर से बीए स्नातक किया है। अपनी रुचि को आगे बढ़ाते हुए, मैं अब DAVV यूनिवर्सिटी में इसी विषय में स्नातकोत्तर कर रही हूं। पत्रकारिता का यह सफर अभी शुरू हुआ है, लेकिन मैं इसमें आगे बढ़ने के लिए उत्सुक हूं। मुझे कंटेंट राइटिंग, कॉपी राइटिंग और वॉइस ओवर का अच्छा ज्ञान है। मुझे मनोरंजन, जीवनशैली और धर्म जैसे विषयों पर लिखना अच्छा लगता है। मेरा मानना है कि पत्रकारिता समाज का दर्पण है। यह समाज को सच दिखाने और लोगों को जागरूक करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। मैं अपनी लेखनी के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास करूंगी।

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