Ratlam News : होली खेलते तालाब में डूबा बच्चा, बचाने के चक्कर में दो और बच्चे, युवती भी डूबे, एक की मौत

Atul Saxena
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Ratlam News : होली खुशियों, उत्साह और उमंग का त्यौहार है लेकिन कभी कभी जरा सी लापरवाही इसके रंग को ना सिर्फ फीका कर देती है बल्कि जीवन भर का दुःख दे जाती है। ऐसा ही एक उदाहरण आज रतलाम के एक गाँव का सामने आया है जिसमें एक युवती की मौत हो गई जबकि तालाब में दुबे तीन अन्य बच्चों की तलाश की जा रही है।

जानकारी के मुताबिक रतलाम जिला मुख्यालय से करीब 6 किलोमीटर दूर जामथुन रोड के पास बने एक तालाब में तीन बच्चे और एक युवती के डूबने की खबर से सनसनी मच गई। सूचना पर पुलिस मौके पर पहुंची और उसके बाद SDRF की टीम को बुलाया गया, टीम ने मशक्कत के बाद 20 साल की युवती को तालाब से बाहर निकाला लेकिन तब तक उसकी मौत हो चुकी थी।

होली खेलते बच्चे और युवती तालाब में डूबे 

बताया जा रहा है कि गाँव में होली खेलते खेलते तीन बच्चे तालाब के पास पहुँच गए, उनमें से एक बच्चा तालाब में गिर गया उसे बचाने के लिए एक और बच्चे ने तालाब में छलांग लगा दी फिर एक और बच्चा उन दोनों को बचाने तालाब में कूद गया।  इस घटनाक्रम को वहां मौजूद एक 20 साल की युवती रूपा ने देखा तो उसने बिना कुछ सोचे तालाब में छलांग लगा दी लेकिन कोई भी बाहर नहीं आ पाया।

SDRF ने बच्चों और युवती को निकालने की कोशिश शुरू की 

इस पूरे घटनाक्रम को गाँव के कुछ और लोगों ने देखा तो उन्होंने शोर मचाया, तालाब से बच्चों और युवती को निकालने की कोशिश शुरू की, पुलिस को सूचना दी , मौके पर पहुंची पुलिस ने पहले स्थानीय गोताखोरों की मदद ली फिर SDRF की टीम बुलाया। SDRF की टीम ने तीनों बच्चों और युवती को बाहर निकालने की कोशिश शुरू की।

युवती को बाहर निकाला, हो चुकी थी मौत 

करीब आधे घंटे की मशक्कत के बाद SDRF की टीम ने युवती को बाहर निकाला, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी , युवती रूपा की मौत हो चुकी थी, मौत की खबर से गाँव में मातम छा गया, खबर लिखे जाने तक SDRF की टीम तालाब में डूबे तीनों बच्चों की तलाश कर रही थी ।


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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