रतलाम।
सत्ता परिवर्तित होते ही प्रदेश में बिजली कटौती का मुद्दा छाया हुआ है।आए दिन सत्तापक्ष और विपक्ष इसको लेकर आमने-सामने हो रहे है। वही जनता भी इस परेशानी से जूझ रही है, हालांकि सरकार ने इसको लेकर अधिकारियों पर कार्रवाई की है लेकिन हालात जस के तस बने हुए है।इसी के चलते अब केंद्र सरकार रूरल फीडर मॉनिटरिंग सिस्टम (आरएफएमएस) के माध्यम से ग्रामीण फीडरों से प्रदाय की जाने वाली बिजली की जानकारी लेगी।वही तुरंत सुधार नहीं होने पर संबंधित पर कार्रवाई की जाएगी। इससे पता चलेगा कि फीडर से एक दिन में कितनी बिजली ग्रामीणों को आपूर्ति की गई।
![if-electricity-is-lost-in-rural-areas-then-informed-to-central-government](https://mpbreakingnews.in/wp-content/uploads/2020/01/024320191350_0_Capture.jpg)
दरअसल, गांवों में बिजली व्यवस्था को और बेहतर करने के लिए विद्युत वितरण कंपनी में नई व्यवस्था की गई है। जिसके तहत केंद्र सरकार रूरल फीडर मॉनिटरिंग सिस्टम (आरएफएमएस) के माध्यम से ग्रामीण फीडरों से प्रदाय की जाने वाली बिजली की जानकारी लेगी। बिजली कंपनी के अधिकारी इस जानकारी को नियमित रूप से रूरल ईआरसी पर अपलोड करेंगे। इससे यह पता चलेगा कि एक दिन में कितनी बिजली ग्रामीणों को आपूर्ति की गई।इसकी रिपोर्ट के आधार पर संबंधितों से सवाल-जवाब भी किए जाएंगे और सुधार ना होने पर तुरंत कार्रवाई की जाएगी।
इस संबंध में मप्रपक्षेविविकं इंदौर के अधीन इंदौर, रतलाम, उज्जैन, मंदसौर, नीमच, धार, झाबुआ, आलीराजपुर, खंडवा, खरगोन, देवास, शाजापुर, आगर, बड़वानी, बुरहानपुर के अधीक्षण यंत्रियों को नियमानुसार फीडर पर मोडम का इंतजाम करने के आदेश दिए हैं।मालवा और निमाड़ में कुल 12 हजार गांव हैं। ये सभी 6 हजार ग्राम पंचायतों के अधीन जनसंख्या ग्राम कहलाते हैं।