इंदौर उच्च न्यायालय का प्रशासन को सख्त निर्देश, दो दिन में पंचायत सीइओ लक्ष्मण सिंह डिंडोर के वीआरएस पर ले फैसला

Shashank Baranwal
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Ratlam

Ratlam News: मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव की तारीखों का एलान हो गया है। ऐसे में राज्य में कई ऐसे अधिकारी है जिन्होंने अपनी नौकरी से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (वीआरएस) ले लिया है। उनमें से किसी का स्वीकार हो गया है और कोई अभी भी स्वीकार कराने की जुगत में लगा हुआ है। वीआरएस के मामले में शुक्रवार को इंदौर उच्च न्यायालय ने जिला पंचायत सीईओ लक्ष्मण सिंह डिंडौर की सुनवाई की। इस मामले को लेकर उच्च न्यायालय ने दो दिन में प्रशासन को वीआरएस पर फैसला लेने का निर्देश दिया है।

आपको बता दें जिला पंचायत सीईओ लक्ष्मण सिंह डिंडोर रतलाम ग्रामीण सीट से दावेदार हैं। जिनका कांग्रेस से टिकट मिलना तय बताया जा रहा है। जिसको लेकर उन्होंने अपनी नौकरी से वीआरएस के लिए अप्लाई किया था, पर प्रशासन ने स्वीकार नहीं किया था। जिसके बाद उन्होंने उच्च न्यायालय में वीआरएस के लिए याचिका दिया था।

2018 विधानसभा में कट गया था टिकट

गौरतलब है कि साल 2018 विधानसभा चुनाव में लक्ष्मण सिंह डिंडोर को रतलाम ग्रामीण से कांग्रेस की तरफ से विधायक का टिकट मिलना तय हुआ था। लेकिन खिलाफत की वजह से नामांकन होने से पहले ही टिकट कट गया था। लक्ष्मण सिंह डिंडोर के बदले थावर भूरिया को टिकट मिल गया था। जिसके बाद वे नौकरी में बने रह गए थे। इस चुनाव में उन्होंने चुनाव से संबंधित काम भी किया था। जिसका बीजेपी ने विरोध किया था।

आपको बता दें लक्ष्मण सिंह डिंडोर कांतिलाल भूरिया के समर्थक हैं जो काफी लंबे समय से रतलाम ग्रामीण इलाके में सक्रिय है। उन्होंने कांग्रेस के एक कार्यक्रम में शिरकत की थी। जिसके बाद डिंडोर को पंचायत व ग्रामी विकास विभाग की तरफ से निलंबित कर दिया गया था।

 


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पत्रकारिता उन चुनिंदा पेशों में से है जो समाज को सार्थक रूप देने में सक्षम है। पत्रकार जितना ज्यादा अपने काम के प्रति ईमानदार होगा पत्रकारिता उतनी ही ज्यादा प्रखर और प्रभावकारी होगी। पत्रकारिता एक ऐसा क्षेत्र है जिसके जरिये हम मज़लूमों, शोषितों या वो लोग जो हाशिये पर है उनकी आवाज आसानी से उठा सकते हैं। पत्रकार समाज मे उतनी ही अहम भूमिका निभाता है जितना एक साहित्यकार, समाज विचारक। ये तीनों ही पुराने पूर्वाग्रह को तोड़ते हैं और अवचेतन समाज में चेतना जागृत करने का काम करते हैं। मशहूर शायर अकबर इलाहाबादी ने अपने इस शेर में बहुत सही तरीके से पत्रकारिता की भूमिका की बात कही है– खींचो न कमानों को न तलवार निकालो जब तोप मुक़ाबिल हो तो अख़बार निकालो मैं भी एक कलम का सिपाही हूँ और पत्रकारिता से जुड़ा हुआ हूँ। मुझे साहित्य में भी रुचि है । मैं एक समतामूलक समाज बनाने के लिये तत्पर हूँ।

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