खूनी संघर्ष में बदला आपसी विवाद, एक की मौत, जांच में जुटी पुलिस

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रतलाम, सुशील खरे। जिले में संगीन अपराधों की फेरिस्त में आज रतलाम शहर का एक और नाम जुड़ गया। मामला रतलाम के जावरा फाटक स्टेशन रोड थाने का है,जहां दिनदहाड़े एक युवक की तीन लोगों ने आपसी विवाद के चलते हत्या कर दी। जबकि आरोपिओं में से एक गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती है तो वहीं दो आरोपी फरार हैं। पूरा मामला काफी पुराना आपसी विवाद का बताया जा रहा है। वहीं पुलिस ने फरार आरोपिओं की सरगर्मी से तलाश शुरू कर दी, लेकिन शहर के बीचो बीच हुई इस घटना से कानून व्यवस्था और चीता पेट्रोलिंग पर सवालिया निशान लग गए हैं। मृतक का लहूलुहान विडिओ सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है।

घटना दोपहर बारह बजे के बाद की बताई जा रही है, जावरा फाटक से निकल रहे रतलाम रेंज के डीआईजी के ऑफिस के डीएसपी भूपेंद्र सिंह राठौर ने देखा कि एक लहूलुहान युवक सड़क पर मदद मांग रहा तो राठौर ने तत्काल पुलिस कंट्रोल रूम सूचना दी और पुलिस की मदद से घायल मोहम्मद यूनिस लाला को अस्पताल पहुंचाया गया। हालांकि घायल ने अस्पताल में दम तोड़ दिया, वहीं आरोपी साहिल घायल हालत में रतलाम जिला चिकित्सालय में भर्ती है। स्टेशन रोड थाना प्रभारी किशोर पाटनवाला ने बताया की बाबू नगर जावरा फाटक पर रहने बाला मोहम्मद यूनिस लाला का साहिल से कोई आपसी पुराना विवाद चला आ रहा था। इसी कारण आज विवाद ने बड़ी गंभीर घटना का रूप ले लिया और साहिल ने अपनी साथी सिराज एयर ऐज़ाज़ के साथ मिलकर यूनिस पर हमला कर दिया। वहीं पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है और फरार आरोपी की तलाश में जुट गई है।


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Gaurav Sharma

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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है। इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।