रतलाम : मेडिकल कॉलेज में मरीज की मौत के बाद हंगामा, परिजनों ने लगाए गंभीर आरोप

रतलाम, सुशील खरे। रतलाम का मेडिकल कॉलेज कोविड-19 के दूसरे संक्रमण काल की लहर में आम जनता के बीच अपना विश्वास खोता जा रहा है तथा यहां की व्यवस्थाएं पूरी तरह से चरमरा थी नजर आ रही है। लगभग हर दिन मेडिकल कॉलेज से मरीज के परिजनों  द्वारा हंगामे की सूचनाएं बाहर निकल कर आ रही है। शुक्रवार को भी कुछ ऐसा ही वाकया देखने में सामने आया जब एक महिला की मौत के पश्चात उसके परिजन उसके शव तथा रिपोर्ट के लिए परेशान होते रहे और आखिरकार उनका आक्रोश फूट पड़ा। इसके बाद उन्होंने वहां पर जमकर हंगामा मचाया। इसी प्रकार इसके पूर्व भी मेडिकल कॉलेज में हंगामे के कुछ वीडियो सामने आए थे।

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मेडिकल कॉलेज के कुछ वीडियो वायरल हुए हैं जिसमें परिजनों द्वारा कई गंभीर आरोप लगाए गए है। इनका कहना है कि मेडिकल कालेज में भर्ती मरीजों का बिल्कुल भी ध्यान नहीं रखा जा रहा है। ना तो उनको समय पर दवाई दी जाती है, ना खाना और ना पानी। अगर भोजन भी दिया जाता है तो वह फेंक कर दिया जाता है। इस संदर्भ में रेड क्रॉस सोसाइटी के पूर्व चेयरमैन महेंद्र ने भी मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर मेडिकल कॉलेज के समस्याओं से अवगत कराया गया है तो शुक्रवार को अस्पताल में आक्रोश व्यक्त करने वाले मृतक मरीज के परिजनों ने भी काफी गंभीर आरोप लगाए हैं।

उल्लेखनीय के 300 करोड़ के मेडिकल कॉलेज में अभी भी सीटी स्कैन मशीन का इंतजार है जो कि मात्र तीन करोड़ में लग सकती है। आमजन को सीटी स्कैन के लिए भारी राशि बाहर चुकाना पड़ रही है। इसी प्रकार यदि किसी व्यक्ति का कोविड-19 टेस्ट लिया जा रहा है तो उसकी रिपोर्ट 3 से 4 दिन में प्राप्त होती है। इस दौरान मरीज के परिजन और मरीज काफी असमंजस की स्थिति में रहते हैं क्योंकि पता नहीं चलता कि मरीज कोविड-19 से संक्रमित अथवा उसे कोई अन्य बीमारी है जिसके चलते उसका सही इलाज नहीं होने से जान पर बन आती है और कई बार लोगों की जान भी चली जाती है। इसी प्रकार कई मरीज के परिजन बताते हैं कि यदि कोई सामान अथवा उपयोगी दवाई मरीज तक पहुंचाना हो तो उसकी भी पूरी तरह से व्यवस्था नहीं है। कई घंटों इंतजार करना पड़ता है उसके पश्चात भी दवाई मरीज तक पहुंचेगी या नहीं पहुंचेगी इसकी कोई गारंटी नहीं रहती। जो हेल्प डेस्क के नंबर दिए गए हैं वहां पर भी सिर्फ घंटी बजती रहती है, कोई भी प्रॉपर रूप से फोन उठाने वाला या रिस्पांस देने वाला व्यक्ति वहां पर नहीं मिलता है। इसके पूर्व भी कई गंभीर आरोप लग चुके हैं। कुछ मरीज के परिजन जिनकी मौत हो गई थी उनके शरीर से सोने चांदी के आभूषण गायब होने की भी सूचनाएं बाहर निकल कर आई थी और मामला थाने तक पहुंच चुका है। अभी भी आमजन को अपने परिजन का शव प्राप्त करने के लिए 6 से 7 घंटे या इससे भी ज्यादा घंटों का समय इंतजार करना पड़ता है, इसलिए अब मेडिकल कॉलेज में लगातार मांग उठ रही है कि यहां पर एक स्थायी अधिकारी की नियुक्ति की जानी चाहिए जो सारी व्यवस्थाओं को देखें। ये भी मांग उठ रही है कि जिन वार्ड में कोविड-19 के पेशेंट भर्ती रहते हैं वहां सीसीटीवी कैमरे लगे रहने चाहिए एवं मरीज के परिजन उन सीसीटीवी कैमरे के माध्यम से उनको देख सके ऐसी व्यवस्था की जाना चाहिए। इसके अलावा कोविड-19 के पेशेंट को मोबाइल देने की भी मांग भी लगातार की जा रही है।

पिछले साल जब कोविड-19 का संक्रमण शुरू हुआ था तब यही रतलाम का मेडिकल कॉलेज एक वरदान बनकर रतलामवासियों के लिए उभरा था और यहां की चाक-चौबंद व्यवस्थाओं के चलते कोविड-19 के संक्रमण पर काबू पाने में काफी हद तक इस मेडिकल कालेज का हाथ रहा था। परंतु इस बार मेडिकल कॉलेज की व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई है और आम आदमी का विश्वास उठ गया है, जिसके चलते उसे प्राइवेट हॉस्पिटल में जाकर भारी-भरकम रकम चुकाना पड़ रही है और इलाज कराना पड़ रहा है।

 


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श्रुति कुशवाहा

श्रुति कुशवाहा

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।

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