इंदौर, आकाश धोलपुरे। समूचे देश में जहां दशहरे के पर्व पर बुराई के प्रतीक रावण का दहन किया जाता हैं, देश के सबसे स्वच्छ शहर इंदौर में एक परिवार ऐसा भी है जो रावण का दहन नही बल्कि रावण को अपना आराध्य मानकर दशानंद की पूजा करता हैं। हर साल इंदौर में दशहरे के दूसरे दिन गौहर परिवार बकायदा रावण के लिये अर्चना और हवन यज्ञ कर समाज की मान्यताओं को दरकिनार कर रावण को प्रकांड विद्वान और महान योद्धा मानकर आराधना करता है।
दरअसल, इंदौर के परदेशीपुरा इलाके के अर्जुन गौहर नगर में रावण का एक मंदिर है, जहाँ दशहरे के दूसरे दिन जिसे आम बोलचाल की भाषा मे बासी दशहरा कहा जाता है। उस दिन इंदौर में हवन, पूजन और आरती कर लंकापति रावण की भक्ति की जाती है। पहली बार जानकारी मिलने वाले शख्स को ये जानकर कर अटपटा लग सकता है कि बुराई के प्रतीक जिस रावण को देशभर में दहन किया जाता है। उसी रावण की भक्ति में डूबे ये लोग हवन, यज्ञ और पूजन कर रावण के मंदिर मे जयकारे लगा रहे है। लेकिन ये श्रद्धा आज की नहीं बल्कि लगभग चालीस साल पुरानी है और इसी परंपरा को इंदौर का गौहर परिवार निभा रहा है। पूरा परिवार रावण को ही अपना आराध्य मानकर उसकी पूजा करता चला आ रहा है। परिवार के मुखिया महेश गौहर का मानना है कि रावण को बुराई के स्वरुप में देखने वाले लोगो को रावण की अच्छाई और प्रकाण्डता को भी देखना चाहिए।
ये ही वजह है कि हर वर्ष इंदौर का ये परिवार रावण के मंदिर में दशहरे के दिन और उसके अगले दिन को उत्सव के रूप में मानाता है। इस पूजा अर्चना और भक्ति के माध्यम से ये लोग समाज में रावण के सकारात्मक रूप को स्थापित करना चाहते है। आपको ये भी बता दे कि दशहरे पर जहां रावण को बुराई का प्रतीक बताकर लोग उसके पुतले का दहन करते है वही इंदौर के परदेशीपुरा में स्थित रावण के मंदिर में रावण के अनुयायी, रावण को शिवभक्त मानकर पूजा करते है और प्रकांड पंडित से जीवन में कुशलता की कामना भी करते है।