Rewa News : मध्य प्रदेश के रीवा जिले में लगातार अपराधों की संख्या बढ़ती जा रही है। आए-दिन यहां चोरी-डकैती के मामले सामने आ रहे हैं। इससे लोगों में दहशत का माहौल बना रहता है। लोग घर के बाहर खुद को असुरक्षित महसूस करते हैं। चंद घंटों के लिए भी घर पर ताला लगाकर बाहर जाना खतरे से खाली है। जिसका एक ताजा मामला हाल ही सामने आया है, जब व्यापारी को एक बार नहीं, बल्कि दो-दो बार साइबर ठगी का शिकार बनाया गया।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, व्यापारी को क्राइम ब्रांच के नाम पर डरा धमकाकर 6 घंटे तक डिजिटल अरेस्ट करके रखा गया और 10 लाख का ट्रांजैक्शन करवाया गया।
मामला दर्ज
ठगी का शिकार होने के बाद व्यापारी ने थाने पहुंचकर इसके रिपोर्ट दर्ज करवाई। पीड़ित व्यापारी ने बताया कि बदमाशों ने एक बार नहीं, बल्कि दो बार में 10.73 लाख रुपए उनसे ठगे हैं। फिलहाल, पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच में जुट गई है। इन दोनों डिजिटल अरेस्ट शब्द काफी ज्यादा सुनने को मिल रहे हैं। इसका अर्थ जानना बेहद जरूरी है।
क्या है डिजिटल अरेस्ट?
दरअसल, साइबर ठग धोखाधड़ी का एक नया तरीका अपना रहे हैं जोकि एडवांस लेवल का है। इसमें साइबर ठग फोन कॉल या मैसेज के जरिए पढ़े लिखे व्यक्ति को मैसेज या फोन करते हैं। जैसे ही वह व्यक्ति उसके झांसी में आता है, तो संबंधित व्यक्ति वीडियो कॉल के माध्यम से उसपर नजर रखना शुरू कर देता है। इस तरह वह बंधक बनाकर रख लेता है, जिससे व्यक्ति ना तो किसी और का फोन कॉल उठा पाता है और ना ही किसी मैसेज का जवाब दे पाता है। जब तक ठग साइबर तक पैसे नहीं ट्रांसफर करवा लेता, तब तक वह व्यक्ति नेटवर्क क्षेत्र से बाहर ही रहता है। इसमें ठग इनकम टैक्स ऑफिसर, कस्टम ऑफिसर या फिर पुलिस ऑफिसर बनाकर फोन करते हैं।
CSP ने की अपील
CSP शिवाली तिवारी ने लोगों से अपील करते हुए कहा कि किसी भी लॉ या सरकारी एजेंसी डिजिटल रूप से कभी भी किसी को अरेस्ट नहीं करती। इस बात का जनता को खास ख्याल रखना है, क्योंकि साइबर ठग अरेस्ट करने के लिए पढ़े लिखे लोगों को ही अपना शिकार बना रहे हैं। इसलिए सतर्क रहना बेहद जरूरी है। अगर उन्हें किसी भी प्रकार की कोई समस्या है, तो वह नेशनल साइबर क्राइम के पोर्टल साइबर क्राइम cybercrime.gov.in पर शिकायत दर्ज करवा सकते हैं। इसके अलावा 1930 नंबर पर भी अपनी शिकायत पंजीबद्ध करवा सकते हैं।