Rewa Borewell Rescue : रीवा के मनिका गांव में गेहूं के खेत में खुले बोरवेल में गिरे 6 साल के मासूम मयंक की जान आखिरकार बच नहीं पाई, करीब 45 घंटे चले ऑपरेशन के बाद मयंक को रेस्क्यू टीम ने बाहर निकाला। घटना के बाद मयंक आदिवासी के माता पिता का बुरा हाल है। स्थानीय प्रशासन ने परिवार को संबल प्रदान करते हुए तात्कालिक तौर पर मयंक के परिवार को 4 लाख रुपये की आर्थिक सहायता उपलब्ध कराई है।
जानें पूरा मामला
रीवा जिला मुख्यालय से करीब 90 किलो मीटर दूर बसे आदिवासी बाहुल्य गाँव मनिका में शुक्रवार को मासूम मयंक अपने दोस्तों के साथ गेहूं बीनने गया था। इस दौरान खुले पड़े बोरवेल में वो गिर गया। मयंक के गिरते ही चीख पुकार मच गई, खेत मालिक ने स्थानीय लोगों की मदद से रस्सा डालकर मयंक को निकालने का प्रयास किया लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला, उसके बाद स्थानीय प्रशासन और फिर जिला प्रशासन को सूचना दी गई, SDRF और NDRF की टीमों ने रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया।
बच्चे को निकालने के लिए बनाई गई टनल
रेस्क्यू टीम ने बच्चे को सुरक्षित निकालने के लिए एक समानांतर टनल भी बनाई, कल रात को उम्मीद जागी कि मयंक को कभी भी निकाला जा सकता है लेकिन टनल का अलाइंमेंट गलत होने से नतीजा फिर कुछ नहीं निकला, सुबह से फिर युद्द स्तर पर रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू हुआ और जब मयंक बाहर आया तो अचेत अवस्था में था, घटना स्थल पर मौजूद डॉक्टर ने उसे मृत घोषित किया और फिर एंबुलेंस से उसे त्योंथर सिविल अस्पताल भेज दिया गया।
विधायक ने कही ये बात
घटना स्थल पर पूरे रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान मौजूद रहे स्थानीय विधायक सिद्धार्थ तिवारी ने कहा कि मयंक को बचाने के लिए सरकार और प्रशासन ने पूरे प्रयास किये ये बहुत ही दुखद घटना है, मयंक के पिता विजय आदिवासी मेरे नजदीक लोगों में से एक हैं हम सब उस परिवार के साथ हैं, शुरुआती मदद के तौर पर शासन ने परिवार को चार लाख की आर्थिक सहायता उपलब्ध कराई है, हम आगे भी इस परिवार का ध्यान रखेंगे। रेस्क्यू ऑपरेशन को लीड कर रहे NDRF के एसपी ने कहा कि ये ऑपरेशन हमारे लिए बहुत चुनौती पूर्ण था हमने 45 घंटे की मेहनत के बाद ऑपरेशन पूरा कर लिया गया।