सुरखी गजरथ महोत्सव, भगवान आदिनाथ की माता की हुई गोद भराई

Shruty Kushwaha
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सागर, विनोद जैन। सुरखी में चल रहे श्री मज्जिनेन्द्र पंच कल्याणक प्रतिष्ठा एवं गजरथ महोत्सव विश्वशांति महायज्ञ में भगवान आदिनाथ के माता पिता का किरदार बने सुरेन्द्र जैन रक्षा जैन की भगवान के माता पिता के रुप में गोद भराई की रस्म निभाई गयी। इसमें सुरेन्द्र जैन के घर से जुलूस के रुप में सादें मुख्य पंडाल में आई जिससे गोद भराई की।

श्री कुलभूषण जी मुनि महराज और देशभूषण जी मुनि महाराज के जीवन चरित्र पर एक नाटक का मंचन भी किया गया जिसमें बताया गया कि एक राजा के दो पुत्र थे जो बाग में भ्रमण कर रहे थे, तभी उन्हे एक राजकुमारी दिखाई दी और उन दोनो के मन में राजकुमारी से विवाह का विचार आया। दोनों भाई इस बात पर एक दूसरे से उलझ गये, एक ने कहा कि इस राजकुमारी को पहले मैने देखा था इसलिये मैं विवाह करुंगा तो दूसरे भाई ने भी जिद की कि नहींं मैं बडा हूं मै इस राजकुमारी से विवाह करुंगा। बात इतनी बढ़ गयी कि दोनों सगे भाइयों में युद्ध होने लगा। जब राजा के मंत्री ने देखा तो उन्होने दोनों को एक सच्चाई बताई कि तुम लोगों को पता नहीं है यह राजकुमारी तुम्हारी सगी बहन है। तब दोनों ने मंत्री से कहा कि नहीं तुम हम दोनों के युध्द को देखकर उससे बचाने के लिये झूठ बोल रहे हो। तब मंत्री ने कहा कि अगर मेरा विश्वास न हो तो आप अपने पिता से पूछ लो और मंत्री ने इस बात की खबर राजा को कर दी। राजा ने भी आकर दोनों को यह बात बताई तब दोनों ने राजा से भी यही कहा कि हम दोनों युद्ध न करें इसलिये आप झूठ बोल रहे हैं। अगर हम दोनों भाइयों की  एक बहिन थी तो हम दोनो को यह बात अब तक क्यों नहीं बताई गई। तब राजा ने उनको बताया कि जब तुम दोनो शिक्षा के लिये अपने गुरु के पास गये थे, तब तुम्हारी बहन का जन्म हुआ। तुम्हारी शिक्षा में व्यवधान न हो इसलिये तुम्हे खबर नहीं भेजी और तुम लोग अभी शिक्षा ग्रहण करके आये हो इसलिये तुम्हें यह सब नहीं पता। इतना सुनते ही दोनों राजकुमारों के मन में वैराग्य उमड़ आया कि इस संसार में कितना पाप है, इस संसार में सुख संपत्ति तो नष्ट हो जाती है जो आदमी के साथ नही जाती, लेकिन आदमी जो पाप और पुण्य कमा लेता है वही उसके जाते हैं। इतना सोचकर वह अपने सभी वस्त्र आभूषण उतारकर वैराग्य धारण करके तपस्या करने जंगल की ओर चल देते हैं। माता पिता और बहन रोती बिलखती उनको समझाते हुये रोकने का प्रयास करते हैं, लेकिन वह किसी की नही सुनते और जंगल में जाकर जैन मुनि बन जाते है जिनको हम सभी कुलभूषण और देशभूषण जैन मुनि महाराज के नाम से जानते है।


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Shruty Kushwaha

Shruty Kushwaha

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।

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