सतना। मध्य प्रदेश के लिए बीजेपी ने सभी 29 सीटों पर उम्मीदवारों का ऐलान कर दिया है, लेकिन विरोध अब भी कम होने का नाम नही ले रहा है। आए दिन घोषित प्रत्याशी का विरोध देखने को मिल रहा है। अब सतना में मौजूदा सांसद और बीजेपी प्रत्याशी गणेश सिंह का विरोध देखने को मिला है। आज सोमवार नागौद के बड़खेर में दौरे के दौरान जा रहे गणेश सिंह को सैकड़ों युवाओं द्वारा काले झंडे दिखाए गए है। यहां की स्थिति यह हो गई कि विरोध के चलते गणेश सिंह को बिना जनसंपर्क के ही वापस लौटना पड़ा। यहां कांग्रेस ने राजाराम त्रिपाठी को सिंह के खिलाफ मैदान में उतारा है।
हालांकि यह पहला मौका नही है, जब गणेश सिंह का विरोध हो रहा है। इससे पहले जब पार्टी द्वारा सतना से गणेश सिंह का नाम घोषित किया गया था, तब भी स्थानीय नेताओं ने विरोध जताया था। इसमें विधायकों और जिलाध्यक्षों के साथ स्थानीय नेताओं ने मौजूदा सांसदों का जमकर विरोध किया था और अब आज जनसंपर्क के दौरान उन्हें कुछ युवाओं द्वारा काले झंडे दिखाए गए। जिसके चलते वे बिना लोगों से संपर्क किए उल्टे पांव वापस लौट गए। नागौद विधानसभा क्षेत्र के खेरवा टोला पहुँचे सांसद गणेश सिंह और उनकी प्रचार वाहन को ग्रामीणों ने बैरंग लौटा दिया। तथा गांव तक में प्रवेश नही करने दिया। बताया जा रहा है आदिवासी समाज के लोगो ने बीजेपी प्रत्याशी का किया विरोध। वही इस पूरे घटनाक्रम के बाद पार्टी में ह़ड़कंप मच गया है, हालांकि पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज समेत कई बड़े नेताओं द्वारा लोगों की नाराजगी दूर करने की कोशिश की जा रही है।
गौरतलब है कि पार्टी ने जातिगत समीकरणों को साधने के लिए गणेश सिंह को चौथी बार टिकट दिया है।गणेश सिंह ने 1995 से सतना की सक्रिय राजनीति में कदम रखा था। 2002 में जिपं अध्यक्ष बने। उसके बाद 2004, 2009, 2014 में लगातार तीन बार सांसद चुने गए। संसद की कई कमेटियों में सदस्य रहे हैं।हालांकि उनके नाम के घोषणा के पहले से ही विरोध के स्वर फूटने लगे थे, स्थानीय नेताओं में उनके नाम को लेकर रोष् व्याप्त हो गया था,लेकिन पार्टी ने सबकों दरकिनार कर उन्हें टिकट दे दिया। यहां तक की उनके नाम के ऐलान होने के बाद मनसुख पटेल और अरुण द्विवेदी जैसे भाजपा कार्यकर्ताओं ने खुलकर विरोध जता दिया था और प्रत्याशी बदलने की मांग की थी। वहीं मैहर विधायक नारायण त्रिपाठी व सतना पूर्व विधायक शंकरलाल तिवारी का नाम भी समर्थकों ने आगे बढ़ाया था। इसके पीछे ब्राह्मण राजनीति का कार्ड खेलने का प्रयास था।