एमपी में 23 साल बाद सूली पर लटकेगा रेपिस्ट, इस जेल में दी जायेगी फांसी

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सतना/जबलपुर। सतना की जिला अदालत ने चार साल की मासूम से दुष्कर्म मामले में आरोपी शिक्षक के खिलाफ डेथ वारंट जारी कर दिया है। अब आरोपी शिक्षक को जबलपुर जेल में 2 मार्च को तड़के 5 बजे फांसी दी जाएगी।  मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की एक डिविजन बेंच ने आरोपी शिक्षक को मौत की सजा सुनाई थी और इस घटना को ‘गंभीरतम अपराध’ की श्रेणी का बताया। हाई कोर्ट के फैसले के बाद सतना की जिला अदालत ने दोषी के खिलाफ डेथ वॉरंट जारी कर दिया। अब अगर सुप्रीम कोर्ट इस सजा पर रोक नहीं लगाता है तो तय की गई तारीख पर दोषी टीचर को फांसी दे दी जाएगी, अन्यथा तारीख में बदलाव किया जा सकता है।  यदि उसे फांसी हो जाती है तो यह नए कानून के तहत पहला ऐसा मामला होगा जिसमें बच्चों के साथ रेप करने वाले को फांसी मिलेगी। मध्य प्रदेश में यह फांसी 23 साल बाद होगी, इससे पहले 1996 में आरोपी को फांसी दी गई थी| 

दरअसल, उचेहरा थाना इलाके के परसमनिया में महेंद्र सिंह गोंड ने 30 जून 2018 की रात बच्ची का अपहरण किया था। टीचर ने बच्ची को जंगल में ले जाकर रेप किया और उसे वहीं मरा समझकर फेंक दिया। बच्ची के परिवार वालों ने उसे देर रात सीरियस कंडिशन में पाया और अस्पताल ले गए। इसके बाद पीडि़ता की हालत गंभीर होने पर घटना के दूसरे दिन ही तत्कालीन कलेक्टर मुकेश शुक्ला ने पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान से बात कर पीडि़ता को एयरलिफ्ट कराते हुए नई दिल्ली स्थित एम्स में उपचार हेतु भर्ती कराया थाराज्य सरकार ने तुरंत उसे एयरलिफ्ट कर दिल्ली भेजा था। इसको लेकर प्रदेशभर में प्रदर्शन और बवाल मचा था। लोगों ने सड़कों पर उतरकर न्याय की मांग की थी।

इसके बाद मामले को गंभीरता से लेले हुए डीएसपी किरन किरो ने इस मामले का नेतृत्व किया और नागौद के सेशंस कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की। जहां से अदालत ने उसे 19 सितंबर को मौत की सजा सुनाई। आरोपी को दोषी साबित करने का तरीका भी अनोखा था। पीडि़ता ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए अपना बयान दिया और इससे वह दोषी साबित हो पाया। इस मामले में निचली अदालत द्वारा दी गई फांसी की सजा मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय द्वारा बरकरार रखे जाने के बाद शनिवार को अपर सत्र न्यायाधीश दिनेश शर्मा की अदालत ने बलात्कार का डेथ वारंट जारी किया।डेथ वारंट में 27 वर्षीय दुष्कर्मी महेन्द्र सिंह गोंड़ पिता कोदूलाल उर्फ राजबहादुर सिंह के रहने वाले पन्ना चौकी परसमनिया को 2 मार्च को तड़के 5 बजे फांसी पर तब तक लटकाए रखने के निर्देश दिए हैं, जब तक कि उसकी मौत न हो जाए। अदालत ने वारंट का निष्पादन करने के बाद सूचित किए जाने के भी आदेश दिए हैं।

सुप्रीम कोर्ट और राष्ट्रपति से न्याय की गुहार लगा सकता है आरोपी शिक्षक

जबलपुर सेंट्रल जेल ही मध्य प्रदेश की एक जेल है जहां फांसी देने की व्यवस्था है। जेल अधीक्षक गोपाल तामराकर ने बताया, ‘हमें फैसले की हार्ड कॉपी अभी नहीं मिली है जो डाक के माध्यम से आती है। एक ई मेल मिला है और उसके मुताबिक रेप के दोषी को 2 मार्च को सुबह 5 बजे फांसी दी जानी है।’ हालांकि अधिकारी के मुताबिक, दोषी महेंद्र गोंड के पास अभी दो विकल्प मौजूद हैं। वह चाहे तो सुप्रीम कोर्ट और राष्ट्रपति के यहां दया याचिका दे सकता है। 

इससे पहले 1996  में दी गई थी एक आरोपी को फांसी

मध्य प्रदेश में जिस आखिरी शख्स को फांसी दी गई थी वह शहडोल जिले का कामता प्रसाद था। हत्या के आरोपी कामता प्रसाद को 1996 में जबलपुर सेंट्रल जेल में फांसी पर लटकाया गया था। साल 2018 में मध्य प्रदेश की अदालतों ने 21 अपराधियों को फांसी की सजा सुनाई, इनमें से 18 अपराधी 12 साल से कम उम्र की बच्चियों से रेप के दोषी हैं। 


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