SATNA NEWS : विकास के बड़े-बड़े दावों के बीच मिनी स्मार्ट सिटी चित्रकूट से “शर्मनाक तस्वीर” सामने आई है, ग्रामीण एक गर्भवती महिला को प्रसव पीड़ा के दौरान कंधे में लादकर अस्पताल लेकर दौड़े, लेकिन महिला को रास्ते में ही प्रसव हो गया और उसने बच्ची को जन्म दिया, इसी हालत में परिजन उसे चादर की झोली बनाकर अस्पताल लाए। फिलहाल महिला और नवजात की हालत ठीक है।
यह था मामला
दरअसल चित्रकूट नगर पंचायत में विकास की एक शर्मनाक तस्वीर आयी है, मिनी स्मार्ट सिटी चित्रकूट नगर परिषद के वार्ड 15 के थर पहाड़ में रहने वाले आदिवासीयो की बस्तियों में सरकार का विकास आते आते दम तोड़ देता है, आज़ाद भारत की लोकतांत्रिक सरकारों की अनदेखी के चलते थर पहाड़ के आदिवासी इंसान होने के बावजूद जानवरो का जीवन जीने को मजबूर है, चित्रकूट के थर पहाड़ से इंसानियत को शर्मसार करने वाली तश्वीरें सामने आई है, 25 वर्षीय संगीता मवासी को प्रसव पीड़ा होने पर पति अशोक मवासी ग्रामीण आदिवासियो की मदद से झोली एम्बुलेंस बनाई और गर्भवती को झोली में लादकर अस्प्ताल की ओर चल दिए, झोली के अंदर रास्ते मे प्रसूता संगीता ने एक बच्ची को जन्म दे दिया, ग्रामीण किसी तरह सुरक्षित जच्चा बच्चा को लेकर चित्रकूट पहुंचे और भर्ती कराया।
आजादी के इतने सालों पर बाद भी सड़क नहीं
चित्रकूट नगर पंचायत के वार्ड 15 में आज़ादी के बाद से ही सड़क नही है, रोड न होने से प्रसूता को डिलेवरी के लिए एंबुलेंस तक नसीब नहीं होती है, लिहाजा परिजन बीमार महिलाओ गर्भवतियों को पहाड़ से उतारकर मुख्य सड़क तक पहुंचाने के लिए एक कपडे की झोली में लादकर बड़ी जद्दोजहद के बाद लाते है, थर पहाड़ में 150 घरों की बस्ती है जहां करीब 400 से वोटर है, थरपहाड में वोट मांगने के लिए तो नेता खूब पहुंचते है लेकिन आदिवासियों की हालत सुधारने की किसी ने कोशिश नही की, तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान चित्रकूट में आदिवासियों की हालात पर तरस खाते हुए कई बार योजना की घोषणा कर चुके है, चित्रकूट को मिनी स्मार्ट सिटी बनाने की भी घोषणा की थी, मौजूदा सीएम मोहन यादव ने भी भगवान राम की तपोस्थली चित्रकूट को विशेष पैकेज की घोषणा की है, बावजूद इसके यहां के हालात जस के तस बने हुए हैं, इस बावत जिले का कोई अधिकारी नेता कुछ भी बोलने को तैयार नही है ।
सतना से मो. फ़ारूक़ की रिपोर्ट